हिन्दूराष्ट्र के निर्मम शून्य आकाश में एकाएक अनेक वर्ण के मेघ परिधावी संवत्सर में उभरे हैं। एक विकट महापरिवर्तन आरम्भ हो चुका है। सर्वराज सम्राट परमभट्टारक श्री नरेन्द्र मोदी और सर्वाध्यक्ष महादण्डनायक श्री अमित शाह द्वारा पहले 370 नाम की दुर्धारा का उन्मूलन, फिर श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति, तीन तलाक का अंत और अब CAA द्वारा विधर्मी राज्यों के प्रताड़ित हिन्दुओं का स्वागत। इन वीरों पर भारत के स्वर्णिम गुप्तकाल की ये उपाधियाँ आज फिर शोभा पा रही हैं।
उस पाकिस्तान के नापाक कुशासन में हिन्दू कन्याएं अपहृत होती हैं, मलेच्छों के विकट तांडव से ऋषियों की वह पवित्र भूमि पादाक्रांत है, कहीं भी देवता पूजित नहीं होते, प्राचीन देवमन्दिर शौचालय बना दिए गए, गायें चौराहे पर काटी जाती हैं, बर्बर जाति की राक्षसी वृत्ति का जहाँ प्रचण्ड पाखण्ड फैला है। हिन्दूराष्ट्र के परमभट्टारक वहाँ के प्रताड़ित आर्यों को शरण नहीं देंगे तो कौन शरण देगा।
कांग्रेसी शक हूणों की सरकार के दमनचक्र में हिंदुओं को केवल आत्महत्या का ही अवलंब निःशेष था, हिंदुओं पर विपत्ति की प्रलय मेघमाला घिरीं हुईं थी, अंतर्विरोध और दुर्बलताओं को आक्रमणकारी भलीभांति जान गए थे। तब इन्हीं सर्वराज नरेन्द्र मोदी ने शत्रुओं के षड्यंत्रों पर अर्गला लगा दी थी। आर्य्य राष्ट्र की सुव्यवस्था और त्राण के लिए 822 वर्ष बाद हिन्दू राज्य की स्थापना हुई थी। परमभागवत सम्राट श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, “पहला कार्यकाल आवश्यकताएं पूरी करने का था, अगला कार्यकाल आकांक्षाएं पूरी करने का होगा।”
आज वह साम्राज्य स्थापना सफलता की ओर बढ़ रही है। देवता जागने लगे हैं, एक बार फिर आर्यावर्त्त में गौरव का सूर्य्य चमकेगा, और पुण्यकर्मों से समस्त पाप-पंक धुल जाएंगे, हिमालय से निकली हुई गंगा-यमुना की घाटियाँ, स्वजाति के निर्वासित प्राणियों को अन्नदान देकर संतुष्ट करेंगी, और हिन्दू जाति अपने सबल हाथों में शस्त्र और शास्त्र ग्रहण करके, अचल हिमाचल की भाँति सिर ऊँचा किए, विश्व को सदाचरण के लिए सावधान करेगी। सिन्धु में हलचल होगी, पर्वत हिलेंगे, महासागर से रत्नराशियाँ हिन्दूराष्ट्र की भूमि पर न्यौछावर होंगी, शौर्य का सामगान होगा। किसी ने कहा था, “सावरकर नीति ही राष्ट्र की नियति है, इसे उसी ओर जाना है!” आज जा रहा है..
370 के निर्मूलन और नागरिकता अधिनियम पर संसद में दहाड़ते उदार वीर हृदय, हिन्दू साम्राज्य के आशास्थल युवराज अमित शाह का विशाल मस्तक कैसी चक्र लिपियों से अंकित है! इनके अंतःकरण में तीव्र अभिमान है और विराग है। आंखों में जीवंत ज्योति। भविष्य के साथ इनका युद्ध होगा, देखूं कौन विजयी होता है। विजय तो सत्य की ही होगी। प्रार्थना विश्वम्भर के श्रीचरणों में है, जो अपनी अनंत दया का अभेद्यकवच पहनाकर हिन्दूराष्ट्र के नव स्कन्द अमित शाह को सुरक्षित रखेंगे।
जब जब सर्वाध्यक्ष महादण्डनायक श्री अमित शाह जी संसद में हिन्दुत्व के लिए युद्ध लड़ रहे होते हैं, तब तब संभवतया सम्राट परमभट्टारक श्री नरेन्द्र मोदी अपने निज गृहमंदिर में शक्ति अनुष्ठान निरत हो जाते हैं, जिस प्रकार श्रीनरसिम्हा राव बाबरी विध्वंस के वक्त पूजारत हो गए थे। सम्राट समुद्रगुप्त, सम्राट स्कन्दगुप्त भी ऐसे ही थे, अभी समरांगण में शक हूणों को धूल चटा रहे हैं तो युद्ध पश्चात निजमन्दिर में श्रीविष्णु की अभ्यर्चना में लीन रहते, इसलिए उन्होंने उपाधि भी धारण की तो क्या? “परमभागवत“…!
म्यांमार की माँ ‘आंग सान सू की’ को हर भारतीय का नमन
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