चैत्र अमावस्या, २०७७, 12 अप्रैल, 2021 को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. हिन्दकेसरी सभागार में राजस्थान के एकमात्र सूर्यसिद्धान्त गणना पर आधारित पञ्चाङ्ग श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग का विमोचन विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. अर्कनाथ चौधरी तथा श्रीनिम्बार्क परिषद् के संरक्षक महन्त श्रीबनवारीशरणजी महाराज, प्रन्यासी अ. भा. श्रीनिम्बार्क पीठ के द्वारा भगवती सरस्वती एवं श्रीनिम्बार्काचार्य श्रीराधासर्वेश्वरशरणदेवाचार्य श्रीश्रीजी महाराज की प्रतिमा के समक्ष पञ्चाङ्ग समर्पण करके हुआ।

श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग पंचांग पञ्चांग सूर्यसिद्धान्त केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर
प्रो. अर्कनाथ चौधरी, निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर का शॉल ओढाकर एवं श्रीफल भेंट कर सम्मान करते पं. अमित शर्मा, अध्यक्ष, श्रीनिम्बार्क परिषद्, जयपुर

समारोह में पञ्चाङ्ग के प्रधान संपादक प्रो. सतीश चन्द्र शास्त्री, प्रबन्ध संपादक प्रो. मोहन लाल शर्मा, संपादक प्रो. श्यामदेव मिश्र, सहित जन्तर मन्तर, जयपुर के पूर्व अधीक्षक श्री ओमप्रकाश शर्मा, प्रो. सुरेन्द्र कुमार शर्मा, विश्वविद्यालय के ज्योतिष, धर्मशास्त्र एवं वेद विभाग के प्रो. सुदेश शर्मा, प्रो. भगवती सुदेश, प्रो. ईश्वर भट्ट, प्रो. शिवकान्त झा, प्रो. रामकुमार शर्मा, प्रो. वाई.एस.रमेश, प्रो. श्रीधर मिश्र, प्रो. सत्यम कुमारी, डॉ. धर्मेन्द्र पाठक, डॉ. प्रकाश रंजन मिश्र आदि उपस्थित रहे।

श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग पंचांग पञ्चांग सूर्यसिद्धान्त केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर
पञ्चांग के प्रधान सम्पादक प्रो. सतीशचन्द्र शास्त्री का शॉल ओढाकर सम्मान करते पञ्चांग के प्रबंध सम्पादक प्रो. मोहनलाल शर्मा

पञ्चाङ्ग के प्रधान संपादक श्री सतीशचन्द्र शास्त्री ने बताया कि प्रदेश में भी धर्मशास्त्र के अनुकूल सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्ग प्रकाशित हो इसकी वर्षों से इच्छा थी जो पूर्ण हुई, व सूर्यसिद्धान्तीय गणित से तैयार कुण्डली एवं दशा अंतर्दशाओं से फलादेश की सटीकता के प्रसंग उन्होंने श्रोताओं को बताए।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर के निदेशक प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने बताया कि, “प्राचीनकाल से ही व्रतपर्वोत्सवों व मुहूर्त्तादि का निर्णय सूर्यसिद्धान्त की गणना द्वारा ही होता आया है जिसे हमारे पूर्वज कुछ वर्षों पूर्व तक भी पञ्चाङ्ग निर्माण में उपयोग करते थे। विगत 20-30 वर्षों में पञ्चाङ्ग का निर्माण नवीन गणित पद्धति से होने के कारण व्रतपर्वोत्सवों के निर्धारण में अनेक कठिनाई आ रही है जिससे दो दो पर्व त्यौहार की स्थिति से आमजन में काफी भ्रम उत्पन्न हुआ है। इस विसंगति को दूर करने हेतु जयपुर, काशी, वृन्दावन, मिथिला के विद्वानों से विमर्श करके सूर्यसिद्धान्त की गणना से इस पञ्चाङ्ग के प्रकाशन का निर्णय लिया गया। असमय किये गये व्रतोपवास का कोई फल भी प्राप्त नहीं होता। इस विषय को अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि शिलापूजन करवाने वाले मुख्य आचार्य श्री गङ्गाधर पाठक द्वारा पञ्चाङ्ग में स्पष्ट किया गया है।

श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग पंचांग पञ्चांग सूर्यसिद्धान्त केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर में आयोजित पञ्चांग सम्पादन कार्यशाला के दौरान पञ्चांग के प्रधान सम्पादक प्रो. सतीशचन्द्र शास्त्री, प्रबंध सम्पादक प्रो. मोहनलाल शर्मा, सम्पादक प्रो. श्यामदेव मिश्र, एवं प्रो. विजेन्द्र शर्मा, डॉ. नीरज त्रिवेदी, डॉ. अमित तिवारी

इस पञ्चांग के प्रधान सम्पादक आचार्य श्री सतीशचन्द्र शास्त्री, शास्त्र-चूड़ामणि, के.सं.वि.वि., जयपुर, ज्योतिषशास्त्र एवं पञ्चांग गणित के वरिष्ठ आधिकारिक विद्वान हैं जिन्होंने पञ्चांग का शास्त्रनिष्ठ सम्पादन किया है। इस सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चांग के गणितकर्ता आचार्य श्री विनय झा सौरपक्षीयगणना के अद्वितीय विद्वान हैं। इसी कर्म में काशीस्थ अखिल भारतीय विद्वत्परिषद् के महासचिव, आचार्य श्री कामेश्वर उपाध्याय का अविस्मरणीय सहयोग रहा है।

इस पञ्चांग के सम्पादन में अति शुभाशंसनीय भूमिका निभायी पञ्चांग के सम्पादक प्रो. श्यामदेव मिश्र, विभागाध्यक्ष, ज्योतिष विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर ने, जिनके कुशल नेतृत्व में सम्पादक मण्डल के सदस्य डॉ. विजेन्द्र शर्मा, डॉ. नीरज त्रिवेदी एवं डॉ. रामेश्वर दयाल शर्मा ने यह श्रमसाध्य कार्य संपन्न किया। इसके साथ ही इस पञ्चांग के निर्माण में डॉ. अमित तिवारी, वरिष्ठ अनुष्ठान अध्येता, प्राकृत एवं डॉ. भोजराज शर्मा, अतिथि प्राध्यापक, ज्योतिष ने उल्लेखनीय योगदान दिया है।

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पञ्चांग निर्माण के आयोजन में प्रबंध सम्पादक के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका धर्मशास्त्रवेत्ता आचार्य श्री मोहन लाल शर्मा, शास्त्र-चूड़ामणि, के.सं.वि.वि., जयपुर परिसर, की रही है। श्रीनिम्बार्क परिषद् ने पञ्चांग निर्माण रूप इस यज्ञ का संकल्प लिया एवं इसके सम्पादन रूप गुह्यतर कार्य का दायित्व ज्योतिष-विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर ने लिया है।”

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महन्त श्री बनवारीशरण जी महाराज एवं सम्पादक पं. श्री अमित शर्मा जी जगद्गुरु निम्बार्काचार्य श्रीराधासर्वेश्वरशरणदेवाचार्य जी महाराज की प्रतिमा के समक्ष पञ्चांग समर्पण करते हुए

उन्होंने बताया कि जयपुरराज के राजपण्डित वेदसमुद्र म.म. पं. मधुसूदन ओझा, देवर्षि परिवार, जगन्नाथ सम्राट, पुण्डरीक रत्नाकर समेत मिथिला एवं अन्य क्षेत्रों के अनेक विद्वान प्राचीनकाल से जयपुर की विद्वत्परम्परा को समृद्ध करते रहे हैं।

कार्यक्रम में प्रो. सतीशचन्द्र शास्त्री, प्रो. मोहनलाल शर्मा, प्रो. श्यामदेव मिश्र, पंडित पुरषोत्तम शर्मा कलवाड़ा, डॉ. विष्णु कुमार निर्मल, डॉ विजेन्द्र शर्मा, डॉ. सुभाषचन्द्र मिश्र, डॉ. रामेश्वर शर्मा, डॉ. नीरज त्रिवेदी, डॉ. भोजराज शर्मा, डॉ. अमित तिवारी को पञ्चाङ्ग संपादन में सहयोग के लिये श्रीफल,अंगवस्त्र और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

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श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चांग के विमोचन कार्यक्रम में महन्त श्री बनवारीशरण जी महाराज एवं विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. अर्कनाथ चौधरी, पञ्चांग सम्पादक प्रो. विजेन्द्र शर्मा का शॉल ओढाकर एवं प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान करते हुए

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के निदेशक प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने यह भी बताया कि इस राजस्थान के एकमात्र प्राचीन गणित सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्ग का निर्माण श्रीनिम्बार्क परिषद् द्वारा हुआ है जिसे देशभर के मूर्धन्य विद्वानों की सम्मति प्राप्त हुई है। कोरोना के बढ़ते अत्यधिक प्रभाव के कारण आयोजन को अत्यन्त संक्षिप्त रखा गया।

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समाचार पत्रों में श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग का विमोचन कार्यक्रम

राजस्थान का एकमात्र सूर्यसिद्धान्तीय श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग प्रकाशित

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर में पंचांग सम्पादन कार्यशाला आयोजित

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