‘गावो जगन्मातरः’
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर

‘गावो जगन्मातरः’ – ग्रन्थ परिचय
वेदादिशास्त्रों में गोमाता की महिमा का सर्वाधिक वर्णन किया गया है । गोमाता सम्पूर्ण देव, ऋषि और पितरों की आश्रयभूता हैं । इनके विग्रह में तैंतीस-कोटि देवगण निवास करते हैं । गौको सर्वतीर्थमयी और सर्वदेवमयी कहा गया है । गोमाता की पूजा से वे सभी पूजित होकर तृप्त होते हैं । गौओं की नित्य परिक्रमा करने से ही बृहस्पति सर्ववन्द्य, विष्णु सर्वपूज्य एवं इन्द्र ऐश्वर्यवान् हुए हैं ।
परन्तु वेदादिशास्त्रों में पूर्ण प्रतिष्ठा को प्राप्त सर्वश्रेयस्करी जगन्माता गौ के लिये संसार के कोई भी दो पैरवाले जन्तु उन्हीं वेदादिशास्त्रों से उनका वध सिद्ध करे यह कितना दुःखद और आश्चर्यजनक है ? इन्हीं उपद्रवों से गोभक्तों का सन्तप्त हृदय अत्यन्त व्यथित हो उठा और राष्ट्र की उन्नति एवं सम्पूर्ण विश्व में शान्ति स्थापना के लिये गोसेवार्थ प्राणधारण करने वाले कतिपय महापुरुषों की आशीर्वादात्मक सत्प्रेरणा से प्रेरित होकर इस ग्रन्थ ‘गावो जगन्मातरः’ में वेदादि शास्त्रों के द्वारा गोवध सिद्ध करने वाले गोविरोधी एवं राष्ट्रद्रोही दुर्विचारों का शास्त्रीय रीति से समालोचन करके गोवंश को अवध्य और सर्वपूज्य सिद्ध किया गया है ।
गौविरोधी समस्त आक्षेपों का समाधान करने वाला यह ग्रन्थ ‘गावो जगन्मातरः’ समस्त आसुरी आक्रमणों का निग्रह और गोवंश की सर्वपूज्यता सिद्ध करता है । जय गोमाता जय गोपाल…..
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— पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’ —
मुख्याचार्य:- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर