स्वामी अग्निवेश की पिटाई पर बहुतों की भावना आहत है चलिये पहले जानिये है कौन ये आदमी …

स्वामी अग्निवेश उन दिनों भजनलाल के नेतृत्व वाली जनता सरकार में मंत्री थे। तब उनका सारा काम-काज हरियाणा भवन से चलता था घर बनाया नहीं था वहीं रहते भी थे भजनलाल के भरोसेमंद ठहरे, एक दिन भजनलाल का फोन उनके पास आया और उन्होंने उन्हें बताया कि मैं सम्पूर्ण मंत्रिमंडल के साथ कांग्रेस में जा रहा हूं यह कार्ययोजना है आप अपनी स्वीकृति दे दें आपका मान नई सरकार में भी कतई घटने नहीं दिया जाएगा पद प्रतिष्ठा बनी रहेगी

अग्निवेश उलटी खोपड़ी तो हैं ही उन्होंने उसी रात अपने दिल्ली के अरुण शौरी जेटली जैसे मित्रों को फोन खड़खड़ा दिए और बता दिया कि हरियाणा में यह होने जा रहा है अरुण शौरी की सलाह पर बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह उजागर भी कर दिया कि क्या खेल होने जा रहा है…!!

नतीजा, भजनलाल ने उनका सब कुछ छीन लिया उस दौर के किसी भी आर्यसमाजी से पूछ लीजिये – वह आपको बताएगा कि तब कांग्रेस में घुस गए भजनलाल ने स्वामी अग्निवेश के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था उनका सारा सामान उठा कर सड़क पर फेंक दिया गया था कम्बल कुटाई भी हुई अलग से। अब स्वामी जी हो गये यूपी की ठेठ भाषा मे बोले तो पलिहर के बानर!! कोई ठिकाना न रहा!!

पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने दिया सहारा

ऐसे में स्वामी जी को युवा तुर्क कहे जाने वाले भोंडसी के संत बलिया के बाऊ साहेब चंद्रशेखर जी ने सहारा दिया उनका जंतर-मंतर के पास एक विशालकाय बंगला हुआ करता था उन्होंने स्वामी जी से आग्रह किया कि आप अपना सारा सामान यहां ले आएं आप बंधुआ मजदूरों के लिए बेहतरीन काम कर रहे हैं तो यहां से करें मैं आपके साथ हूं। कहावत है कुत्ते के भी दिन फिर जाते स्वामी अग्निवेश तो मानव काया वाले हैं फ़ौरन वहां शिफ्ट हो गए और उनके कक्ष के ठीक सामने उनसे भी शानदार कार्यालय बना लिया

इतना ही नहीं, बाद में चंद्रशेखर को पूछा – मेरे पास दफ़्तर तो हो गया अब मैं रहूं कहां? पीछे बहुत सारी खाली ज़मीन के साथ एक उदास इमारत उसांसें भर रही थी चंद्रशेखर ने उधर इशारा कर दिया, बस, उस पर स्वामी जी का कब्ज़ा हो गया जो आज भी बंधुआ मज़दूरों को समर्पित उनके ‘एनजीओ’ के कब्ज़े में है

युवा तुर्क चंद्रशेखर अगले चुनाव में खड़े हुए और स्वामी अग्निवेश उनके घर में रहते हुए, उनकी इमारत में अपना दफ़्तर चलाते हुए भी, उन्हीं के ख़िलाफ़ खड़े हो गए इससे चंद्रशेखर जी नाराज़ हुए और उन्होंने उनके दफ़्तर का सारा सामान उठवा कर सड़क पर फिंकवा दिया पुनः कम्बल कुटाई हुई लेकिन स्वामी जी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा ईमारत के पिछवाड़े वाले विवादित हिस्से पर उनका कब्ज़ा बरक़रार रहा क्योंकि वहां उन्होंने कई बंधुआ पाल रखे थे, जिससे यह संभव नहीं हो पाया। चन्द्रशेखर ने केवल एक हिस्सा उन्हें किराए पर दिया पर खाली करने की बात पर अग्निवेश ने हिस्सा कब्जा लिया और कहा, “साधू लोग जहाँ जाते हैं वहीं बस जाते हैं”। 

27 साल से नहीं चुकाया बिजली बिल

चंद्रशेखर गुज़र गये उस इमारत पर आज भी स्वामी जी का कब्ज़ा है मजेदार यह है कि उसका कोई किराया तो दूर, पानी-बिजली बिल का एक पैसा तक स्वामी अग्निवेश ने कभी अदा नहीं किया ट्रस्ट को अपनी यह सुविधाएं बचाए रखनी हैं, तो उसे भुगतान करना ही होगा अतः लगातार भुगत रहा है और स्वामी जी मुफ़्त के मज़े ले रहे हैं। गौरतलब है कि यह कब्जाया हुआ बंगला दिल्ली के पौश इलाके लुटियन जोन 7 जन्तर मन्तर रोड पर है। बंगले के असली मालिक विनेश प्रताप चौधरी ने इस सन्दर्भ में दिल्ली नगर निगम और अन्य दफ्तरों को कई बार शिकायत की थी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। विस्तृत न्यूज़ दैनिक भास्कर ने भी छापी थी। 

इसी तरह अन्ना आन्दोलन में भी अग्निवेश ने राज्यसभा सीट के लालच में कपिल सिब्बल से सांठगाँठ की और पूरी अन्ना टीम को धोखा देकर आन्दोलन का कबाड़ा किया। यह गद्दारी तो पूरे देश की देखी हुई बात है। पर कांग्रेस अग्निवेश की रगों में दौड़ती गद्दारी जानती है इसलिए राज्यसभा नहीं भेजा।

वो आदमी जिसकी रगों में नमक हरामी खून बन के दौड़ती हो। उसकी कुछ युवाओं द्वारा हल्की सी पिटाई पे आंसू से समुद्र का जल खारा करने वालों दरअसल आप दया के पात्र है ..!!

 – श्री व्यास तिवारी, लेखक राजनीतिक चिंतक और समसामयिक विषयों पर लिखते हैं

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