दो बातें हम सब बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं
1. भारत सोने की चिड़िया था
2. भारत एक कृषि प्रधान देश था
पहला वाक्य जिस प्रकार अखंड सत्य है उसी प्रकार दूसरा वाक्य कोरा झूठ है लेकिन दोनों को साबित करने के लिए हमारे पास सबूत नहीं हैं, हम असहाय पड़ जाते हैं। सबसे पहले हम बात करते हैं भारत सोने की चिड़िया था? क्यूँ था या कैसे था? यह स्थापित करने के लिए अधिक मेहनत की ज़रूरत नहीं है बहुत ज़्यादा पुराना इतिहास खँगालने की भी ज़रूरत नहीं है।
यह अंग्रेजों के आने के पहले तक हज़ारों हमले और मुग़लों की ग़ुलामी और लूट झेलकर भी सोने की चिड़िया था जिसका प्रमाण आज भी लाइब्रेरी ऑफ़ कामंज़ हाउस में सुरक्षित है। प्रोफेसर धर्मपाल कहते हैं, “जब ईस्ट इंडिया कम्पनी यहाँ व्यापार करने आयी उस समय उन्होंने भारत की आर्थिक समृद्धि देखकर क़ब्ज़ा करने और पूरे भारत को ईसाई बनाने का षड्यंत्र शुरू किया भारत को ईसाई देश बनाने के पीछे जो कारण तब था आज भी वही कारण है और वो है “मनी ड्रेन “
लंदन सन 1813 लाइब्रेरी हाउस ऑफ़ कामंज़ में ब्रिटिश सांसद विल्लियम विल्वेर फ़ोर्स ईस्ट इंडिया कम्पनी की एक रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए कहता है की भारत में इतना सोना है की आप सोच नहीं सकते। इसलिए अगर वह पूरा धन निकालना है उनको ईसाई बनाना और ग़ुलाम बनाना होगा और यह पूरा धन कम से कम हज़ार सालों में वहाँ से निकाला जा सकता है।
आगे वह कहता है की भारत की आर्थिक हिस्सेदारी पूरी दुनिया के व्यापार में 33% है और वो लोग यह निर्यात सोने में करते हैं (गुड टू गुड्ज़ इक्स्चेंज) भारत अपना सामान सोने के बदले बेचता है जिससे उसके पास अथाह सोना है। इसी को विस्तार देते हुए मैं आपको बताता चलूँ भारत का मुख्य साझीदार था अफ़्रीका। जो की भारतीय सामान को सोने देकर ले लेता था और पूरे विश्व में घूमकर बेचता था आप सब जानते हैं सबसे अधिक सोने की खान अफ़्रीका घाना में हैं।
भारत प्रमुखता से छींट के कपड़े, मलमल, चूना, मसाले, स्टील, ब्रिक्स इस तरह टोटल 36 से अधिक चीज़ें भारत निर्यात करता है। इसलिए उसके पास बहुत सोना है। आगे कहता है की आप यह समझिए की इतना सोना है की उनके मंदिर तक सोने के हैं और एक नहीं लगभग हज़ार मंदिर सोने के हैं। और अनेको मंदिरो के पास दो तीन सौ टन से अधिक सोना है इसलिए उनको ईसाई बनाना ही पड़ेगा।
इससे यह तो साबित होता है की भारत व्यापार प्रधान इंडस्ट्री प्रधान देश था न की खेती प्रधान। अब खेती पर आते हैं खेती दूसरे स्थान पर थी जो उद्योग के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती थी। लेकिन अंगरेजो ने षड्यंत्र पूर्वक हमारे उद्योग धंधे कारीगरी को सबसे पहले बर्बाद किया।
जिसमें प्रमुखता से छींट के कपड़े के व्यापार को प्रतिबंधित करने के लिए ऐक्ट बनाकर उनको रोक दिया। ऑर्डर देने के बाद तैयार माल को नहीं ख़रीदकर कारीगरों को पंगु किया और कच्चे माल को सीधा निर्यात का रास्ता बनाया जो की आज तक चल रहा है। हम उनको कपास बेचकर लिनेन की शर्ट ख़रीदते हैं इस तरह के हज़ार उदाहरण हैं। भारत को बर्बाद करने के लिए हज़ारों लाखों टन सोना पानी के जहाज़ों में भर कर ब्रिटेन ले जाया गया। अकेले कलकत्ता के इंचार्ज ने 900 पानी के जहाँज भरकर सोना भेजा था। सिर्फ़ बंगाल को लूटकर इसी तरह यह देश भर में चलता रहा। ग़रीबी इस तरह आयी वरना हम कभी ग़रीब नहीं थे।

उद्योग धंधे बर्बाद करने के बाद अगला नम्बर लगा कृषि का ताकि भूखों मरने को मजबूर किया जा सके। तभी यह लोग हमारी बात मानेंगे इस विषय पर अधिक नहीं लिखूँगा सिर्फ़ दो उदाहरण देता एक चाय का और दूसरा नील की खेती का। नील की खेती किसानो से ज़बरदस्ती करवायी जाती थी ताकि वह अनाज न उगा सकें बल्कि अंग्रेजों के लिए नील उगाएं। उसके बाद भी नील को बेचकर वह पैसे न बना लें इसके लिए सूरत स्थित तम्बाकू की फ़ैक्टरी से ज़बरदस्ती नील के बदले तम्बाकू दिया जाता था की तम्बाकू लोगों में बेचकर अपना पैसा निकालो इस तरह हर घर में न सिर्फ़ तम्बाकू पहुँचा बल्कि लोग भूखों मरने लगे। इसलिए आज भी गाँव दराज़ में तम्बाकू को सुरती कहा जाता है आपको ज्ञात होगा।
इन सब अनन्य लूट के बावजूद भी और शिक्षा व्यवस्था को खोखला करने बाद भी जब उन्होंने भारत छोड़ा तो हम इस स्थिति में थे की एक रुपया एक डॉलर के बराबर था। और हमारे ऊपर किसी देश का एक रुपया भी क़र्ज़ नहीं था। लेकिन गोरे अंग्रेजों ने जाने से पहले यहाँ काले अंग्रेजों को जन्म दिया था उन्होंने देश को कहाँ पहुँचाया यह अगले भाग में।
वरना आप ख़ुद सोचिए हम ग़रीब और भुखमरी के शिकार थे तो यहाँ सिकंदर क्यूँ आया? अहमद शाह अब्दाली क्यूँ आया? बाबर और उसकी औलादें यहाँ क्या कर रही थी? पुर्तगाली और फ़्रांसीसी क्या लेने आए थे? और अंत में यह अंग्रेज़ दो सौ साल क्या लेने आए थे? वही सोना जो आपके पास था। इतना लुटने के बाद भी विश्व का सबसे अधिक सोना हमारे पास है। चाहे वह किसी फ़ॉर्म में हो लेकिन काले अंग्रेजों ने उसको भी ठिकाने लगा दिया और आज …….
जिसको लगता है यह सब ग़लत है वह ब्रिटिश म्यूज़ीयम लाइब्रेरी, और हाउस ऑफ़ कॉमंज़ लाइब्रेरी के हज़ारों दस्तावेज़ निकालकर मुझे ग़लत साबित कर सकता है, अंग्रेजों की लूट को दर्शाता हुआ चार्ट नीचे है।
–शैलेन्द्र सिंह, लेखक राष्ट्रिय, सामाजिक मुद्दों के विशेषज्ञ और समसामयिक विषयों पर लिखते हैं.