क्या आपने महंत श्री योगी आदित्यनाथ की कल की राजस्थान वाली स्पीच सुनी है?

क्या वाकई योगी ने हनुमान जी की जाति बताई है ??

दरअसल योगी जी कल राजस्थान की एक वनवासी (आदिवासी) बाहुल्य सीट पे भाजपा का चुनाव प्रचार कर रहे थे| और मैंने बार बार योगी जी की स्पीच सुनी है उसके अंश यूँ है,

“हनुमान जी ऐसे लोकदेवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं|सभी को साथ लेकर के उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक सबको जोड़ने का कार्य बजरंगबली करते हैं|”

– योगी आदित्यनाथ 

अब इसमें हनुमान जी की जाति का उल्लेख कहाँ हुआ ??

सिर्फ इतना निहित्त किया गया है कि हनुमान जी किसके देव हैं, वनवासियों के, गिरवासियों के, दलितों, शोषितों और वंचितों के सबके पूर्णतः अपने देव हैं|

मूल प्रश्न अब भी ये है कि वनवासी कौन है? गिरवासी कौन है? दलित शोषित वंचित कौन है?

वनवासी या आदिवासी वो जो वन में रहते हैं| जंगल में रहते हैं| जीवनयापन के लिए कन्द मूल फल फूल मांस पे निर्भर रहते हैं| राजस्थान में 100 के करीब ज्यादा जनजातियां वनवासी या आदिवासी सूची में लिस्टेड हैं| सरकारी नौकरियों और कट ऑफ लिस्ट में इनको विशेष छूट (लाभ) प्रदान की गई है|विधानसभा चुनावों में इन जनजातियों के उम्मीदवारों का विशेष कोटा है| मोची, ढोली, नट, नायक, बावरी, मीणा जनजाति के उम्मीदवार तो चुनावों में भाजपा कांग्रेस निर्दलीय ताल भी ठोक रहे हैं|

संविधान प्रदत्त शब्द है एस. टी. (शेड्यूल ट्राइब)| गिरवासी कौन है? पर्वतों पहाड़ों पठारों में रहने वाले गिरवासी हैं|

अब दलित शोषित वंचित कौन है? दलित कौन है?

दलित का अभिप्रायः है जो दबा हुआ है| कुचला हुआ है वो है दलित| और दबा कुचला वर्ग समाज की किसी भी जाति में हो सकता है| गरीब, ब्राह्मण, बणिया, क्षत्रिय, जाट, गुर्ज्जर, मीणा भी समाज के अन्य वर्गों द्वारा दबे कुचले हो सकते हैं|

वंचित कौन है?

वंचित का अभिप्रायः है जिसे जीवन यापन की मूलभूत सुविधाएं प्राप्त नहीं है वो वंचित है| अब ये कहाँ लिखा है कि जीवनयापन की मूलभूत सुविधाओं से वंचित सिर्फ एस.सी./ एस. टी. वर्ग के लोग ही हैं?

क्या गरीब, ब्राह्मण, बणिया, क्षत्रिय, मीणा, जाट, गुर्ज्जर वंचित नहीं है ? क्या सारे ब्राह्मणों, बणियों, क्षत्रियों, जाटों, गुर्ज्जरों, मीणाओं को जीवन यापन की मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हैं? क्या सारे ब्राह्मण जाट बणिया मीणा क्षत्रिय गुर्ज्जर अमीर ही हैं? क्या ब्राह्मणों, जाटों, बणियों, मीणों, क्षत्रियों, गुर्ज्जरों में कोई गरीब नहीं है?

शोषित कौन है?

शोषित का अभिप्राय है जो किसी भी प्रकार के शोषण का शिकार है वो शोषित है|तो क्या हमारे समाज में जाट, गुर्ज्जर, मीणा, ब्राह्मण, बणिया, क्षत्रिय शोषण के शिकार नहीं हैं? क्या सारे जाट गुर्ज्जर मीणा ब्राह्मण बणिया क्षत्रिय बाहुबली और धनबली हैं?

ऐसे ही रामायण में सुग्रीव अपने हक के राज्य से वाली के द्वारा वंचित कर दिए गये थे और वो वन वन में दर दर की ठोकरें खाकर जीवनयापन कर रहे थे| क्या सुग्रीव वंचित नहीं कहलाएंगे? और उनके सहयोगी हनुमानजी क्या वंचित नहीं कहलाएंगे। सुग्रीव बाली द्वारा शोषित थे, उनकी पत्नी को बाली ने हर लिया था, उनका राज्य लूटा, धक्के मारके निकाला। उस बाली द्वारा शोषण किये गए सुग्रीव को अगर दलित कहा जाए तो क्या आपत्ति हो सकती है? और उनके कदम कदम के सहायक हनुमानजी ही थे।

तो फिर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाँ गलत संदेश दिया कि, हनुमान जी स्वयं वनवासी दलित वंचित हैं| हनुमानजी स्वयं सुग्रीव के साथ उन कठिन परिस्थितियों से गुजरे हैं इसलिए दलितों, शोषितों, वंचितों, वनवासियों का दर्द अच्छे से समझते हैं और उनकी सदैव सहायता करते हैं| आज भी चाहे कोई भी जाति हो, जरा सी कोई समस्या आई नहीं कि सबसे पहले हनुमान जी के हाजिरी लगाते हैं| जरा सा डर महसूस करने वाला हर शख्स केवल हनुमान चालीसा का स्मरण करके डर भगा देता है| इसलिए ही हनुमानजी के लिए कहा जाता है कि, “जब कोई नहीं आता, हनुमान आते हैं| संकट की घड़ी में वो बड़े काम आते हैं|”

 – श्री रितेश प्रज्ञांश, लेखक राजस्थान की राजनीति के गहन जानकार हैं

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