4.7 C
Munich
Saturday, December 13, 2025

सुब्रमण्यम भारती – दक्षिण के क्रांतिकारी कवि

Must read

विशाल अग्रवाल
विशाल अग्रवाल
लेखक शिक्षक, वरिष्ठ इतिहासविद एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता

11 दिसंबर तमिल भाषा के महाकवि सुब्रमण्यम भारती का जन्मदिवस है , एक ऐसे साहित्यकार जो सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में स्वयं तो शामिल रहे ही, उनकी रचनाओं से प्रेरित होकर दक्षिण भारत में बड़ी तादाद में आम लोग भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। 11 दिसंबर 1882 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी की एत्त्यापुरम नामक गाँव में जन्में भारती देश के महान कवियों में एक थे जिनका गद्य और पद्य दोनों विधाओं पर समान अधिकार था। भारती जब छोटे ही थे तभी माता-पिता का निधन हो गया और वह कम उम्र में ही वाराणसी गए थे जहाँ उनका परिचय अध्यात्म और राष्ट्रवाद से हुआ। इसका उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा|

सुब्रमण्यम भारती ने ज्ञान के महत्व को समझा और पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने काफी दिलचस्पी ली। इस दौरान वह कई समाचार पत्रों के प्रकाशन और संपादन से जुड़े रहे। सुब्रमण्यम भारती की रचनाओं में एक ओर जहाँ गूढ़ धार्मिक बातें होती थी वहीं रूस और फ्रांस की क्रांति तक की जानकारी होती थी। वह समाज के वंचित वर्ग और निर्धन लोगों की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहते थे।

भारती 1907 की ऐतिहासिक सूरत कांग्रेस में शामिल हुए थे जिसने नरम दल और गरम दल के बीच की तस्वीर स्पष्ट कर दी थी। सुब्रमण्यम भारती ने तिलक, अरविन्द तथा अन्य नेताओं के गरम दल का समर्थन किया था। इसके बाद वह पूरी तरह से लेखन और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो गए। वर्ष 1908 में अंग्रेज सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए जिस से बचने के लिए वह पांडिचेरी चले गए जो उन दिनों फ्रांसीसी शासन में था।

सुब्रमण्यम भारती पांडिचेरी में भी कई समाचार पत्रों के प्रकाशन संपादन से जुड़े रहे और अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में देशभक्ति की अलख जगाते रहे। पांडिचेरी में प्रवास के दिनों में वह गरम दल के कई प्रमुख नेताओं के संपर्क में रहे। वहाँ उन्होंने कर्मयोगी तथा आर्या के संपादन में अरविन्द की सहायता भी की थी। भारती 1918 में ब्रिटिश भारत में लौटे और उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

उन्हें कुछ दिनों तक जेल में रखा गया। बाद के दिनों में उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा और 11 सितंबर 1921 को निधन हो गया। सुब्रमण्यम भारती 40 साल से भी कम समय तक जीवित रहे और इस अल्पावधि में भी उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में काफी काम किया और उनकी रचनाओं की लोकप्रियता ने उन्हें अमर बना दिया। इस विद्रोही महाकवि को कोटिशः नमन|

 विशाल अग्रवाल (लेखक भारतीय इतिहास और संस्कृति के गहन जानकार, शिक्षाविद, और राष्ट्रीय हितों के लिए आवाज़ उठाते हैं। भारतीय महापुरुषों पर लेखक की राष्ट्र आराधक श्रृंखला पठनीय है।)

भारतेंदु हरिश्चंद्र: आधुनिक हिंदी के पितामह जिनकी जिंदगी लंबी नहीं बड़ी थी

स्वामी श्रद्धानंद आज और भी प्रासंगिक हैं

वह क्रांतिकारी पत्रकार जो भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद का प्रेरणा स्त्रोत था

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest article