विक्रमादित्य के नवरत्न वराहमिहिर की पञ्चसिद्वान्तिका−१⁄३१ में सूर्यसिद्धान्त को “सौर” सिद्धान्त की संज्ञा दी गयी तथा पञ्चसिद्वान्तिका−१⁄४२ में इसे “सावित्र” सिद्धान्त कहा गया। अतः...
◆वर्ष २०७८ राक्षस नाम संवत्सर ही शास्त्रीय◆
-- डॉ. पारसनाथ ओझा, प्रधान सम्पादक, श्रीआदित्य पञ्चाङ्ग वाराणसी
◆ प्रभवादि संवत्सर का आनयन-
आचार्यों ने सौरमान, चान्द्रमान तथा मध्यम...
चैत्र अमावस्या, २०७७, 12 अप्रैल, 2021 को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. हिन्दकेसरी सभागार में राजस्थान के एकमात्र सूर्यसिद्धान्त गणना पर आधारित पञ्चाङ्ग...
नम्र निवेदन
- श्रीनिम्बार्क परिषद्
सादर सूचित किया जा रहा है कि आराध्यदेव ठाकुर श्रीगोविन्ददेवजी एवं ठाकुर श्रीसरसबिहारीजी की असीम अनुकम्पा से प्राचीन गणित श्रीसूर्यसिद्धान्त पर...
आगामी संवत् 2078 से श्रीनिम्बार्क परिषद्, जयपुर द्वारा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर के सहयोग से राजस्थान का एकमात्र सूर्यसिद्धान्तीय पंचांग 'श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पंचांग'...