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Friday, December 12, 2025
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Hinduism

कन्यादान हो या वरदान! अब आप ही बताईये क्या बुराई है?

क्या कन्यादान सिर्फ खैरात है? क्यों होता है कन्यादान और क्या यह स्त्री का अपमान है? जानिए हिन्दू विवाह संस्कार में कन्यादान का सही अर्थ, उसका सांस्कृतिक और वैदिक महत्व। पढ़ें वरदान बनाम कन्यादान की सच्ची व्याख्या, ब्रह्म विवाह का रहस्य और उन कुतर्कों का उत्तर जो हिन्दू परम्पराओं को गलत साबित करते हैं।

सर्वगर्मवड़ापाव के प्रतिकार में आत्मघाती कमियां

विगत ९० वर्षों में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति बढ़ जाने से भारतीय संस्कृति को बहुत क्षति पहुंची है। अली मौला अल्लाह को ईश्वर के...

संत रविदास और तत्कालीन समाज

संत रविदास निम्न लेख प्रतिज्ञ @RamaInExile द्वारा लिखित है। संत रविदास संत शिरोमणि वैष्णवाचार्य संत रविदास जी रामानंदी संप्रदाय के एक महान आचार्य थे। श्री आद्य गुरु...

युधिष्ठिर का द्यूत – वैदिक रहस्यमयी अक्षविद्या

धर्मराज युधिष्ठिर को जुआरी कहना गलत है । धर्मराज युधिष्ठिर ने जीवन में कितनी बार द्यूत खेला?“व्यसनी” कहलाने के लिये कितनी बार खेलना पड़ता है? द्यूतविद्या...

ॐ का सही उच्चारण कैसे होता है?

अष्टाध्यायी (१⋅२⋅३४) का कथन है कि “जप,न्यूङ्ख तथा साम के सिवा यज्ञकर्म में एकश्रुति का पाठ किया जा सकता है” । किसी भी वेदमन्त्र...

मेधा, कौतूहल, जिज्ञासा का अर्थ और झुण्ड प्रवृत्ति

मेधा और झुण्ड “जो धर्म की रक्षा करता है,धर्म उसकी रक्षा करता है ।” धर्म का अर्थ है वैदिक यज्ञ,अर्थात् वैदिक कर्म का काण्ड । धर्म...

पूर्णावतार भगवान् श्रीकृष्ण – धर्म और रासलीला

कृष्णपक्ष!उसपर अष्टमी!वह भी दक्षिणायन वाली!केवल पूर्णावतार ही इसे झेल सकते हैं,और इसे शुभ बना सकते हैं! एक महायुग में श्रीविष्णु के दस अवतार होते हैं...

युधिष्ठिर – सार्वभौम दिग्विजयी हिन्दूराष्ट्र निर्माता सम्राट

जैसा कि युधिष्ठिर जी आदि पर विवाद देखने को मिलता है तो हमें महाभारत में ही देखना चाहिए कि युधिष्ठिर आदि पाण्डव स्वयं से...

शतभिषा नक्षत्र के स्वामी वरुण देव के मन्त्र

चन्द्रप्रभं पंकजसन्निषण्णं पाशांकुशाभीतिवरं दधानम्। मुक्ताविभूषांचितसर्वगात्रं ध्यायेत् प्रसन्नं वरुणं विभूत्यै। जिनके शरीर की कांति चंद्रमा के समान है, जो पंकज पर आसीन हैं, जो अपने हाथों में पाश, अंकुश,...

चातुर्मास्य में व्रत का विधि विधान व नियम

चातुर्मास्य-व्रतविधान लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’ मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या श्रीवृन्दावन धाम  स्वस्थशरीर के साथ ही मन, बुद्धि, चित्त और अहङ्कारादि की परिशुद्धि के लिये शास्त्रों ने चातुर्मास्य व्रत...

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