1.6 C
Munich
Saturday, December 13, 2025

केरल जलप्रलय के बहाने कम्यूनिस्टों ने रची देश तोड़ने की साज़िश

Must read

Sanjeet Singh
Sanjeet Singh
लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं

इस पोस्ट में मैनें चार तस्वीर को संकलित किया है जिसमें दो Twitter एकाउंट के स्क्रिन शाॅट है तो बाकी के दो तस्वीरों पर इसी लेख में आगे चर्चा करूंगा। जिन लोगों के Twitter एकाउंट से मैंने यह ट्वीट लिया है उनमें से एक रामचंद्र गुहा इतिहासकार है तो दुसरा एम.के. वेणु “द वायर” नामक मैगजीन जो तीन भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में निकलती है, उसके संपादक हैं।

कहने को तो एक इतिहासकार है और एक संपादक हैं लेकिन यह उस वामपंथी विचारधारा के प्रचारक हैं जिनका एक मात्र लक्ष्य भारत को तोड़ना रहा है। इन वामपंथियों के एक विदेशी गुरु जो कभी भारत को 14 भागों में विभाजित करने की बात कही थी आज भी सारे वामपंथी उसी मार्ग पर चलकर समय-समय पर किसी बहाने देश तोड़ने की साजिश करते रहते हैं।

केरल में बाढ़ का बहाना बनाकर किस तरह दक्षिण भारत को अलग करने की साज़िश रच रहे हैं वह इनके ट्वीट में पढ़ा जा सकता है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा दक्षिण भारतीय को अपने ट्वीट के माध्यम से उकसा रहे हैं कि-“20 प्रतिशत की आबादी वाला दक्षिण भारत जो 30 प्रतिशत टैक्स अदा करता है और उसी से देश चलता है तो फिर नाइंसाफी क्यों?”

‘द वायर’ के संपादक एम.के. वेणु इसी विषय को तूल देते हुए ट्वीट में कह रहे हैं, “यह बहस का विषय है, सारे दक्षिण भारत को संयुक्त संघ बनकर दिल्ली से सौदा करना चाहिए?”

बहुत ही नपे-तुले शब्दों में किस तरह दक्षिण भारत और उत्तर भारत के बीच दीवार खड़ी कर अलगाववाद की हवा दी जा रही है इन दोनों ट्वीट से यह स्पष्ट हो रहा है। एक बात मैं बताना भूल गया कि दोनों ने ही अपने इस ट्वीट में -‘The News Minute’ के एक लंबे लेख को शेयर कर रखा है। जिस लेख में दक्षिण भारत और उत्तर भारत के बीच एक लंबी दिवार खड़ी की जा रही है। यह लेख अंग्रेजी में हैं जिसके लेखक कृष्णास्वामी हैं जो खुद भी वामपंथी ही हैं।

इस ट्वीट में वी रमानी कह रहा है कि महाराष्ट्र को भी दक्षिण भारत के साथ मिलकर अलग राष्ट्र बनाना चाहिए, जिसपर रामचन्द्र गुहा सहमति दे रहा है।

इस पोस्ट में ट्वीट से हटकर आंकड़े वाली जो निम्न तस्वीर संकलित है वह इसी लेख की है जिसमें दक्षिण भारतियों को यह भड़काने की कोशिश की जा रही है कि तुम सब टैक्स कितना अधिक देते हो और बदले में दिल्ली से उत्तर भारत के मुकाबले कितना कम हिस्सा मिलता है? दूसरी तस्वीर में यह बताया जा रहा है किस तरह उत्तर भारतीय राज्यों को प्रति व्यक्ति के हिसाब से अधिक मदद दी जाती है वहीं दक्षिण भारतीय राज्यों को प्रति व्यक्ति 1 रूपए से भी कम दिल्ली से मदद मिलती है।

वामपंथी अपने इस आंकड़े से जो झूठ परोस रहे हैं उन्हें यह सच्चाई भी मालूम होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश के अलावा बाकी किसी भी उत्तर भारतीय राज्यों को प्रति व्यक्ति 1 रु से अधिक दर से दिल्ली मदद नहीं करती है। इस कुतर्क को गढ़ने वाले वामपंथियों को यह बात भी मालूम होगी या नहीं कि केंद्र सरकार राज्यों को जो हिस्सा निर्धारित करती है वह जनसंख्या के आधार पर तय करती है न की टैक्स के आधार पर?

राज्यवार केन्द्रीय टैक्स में हिस्सा

अब जहाँ तक दक्षिण भारत से भेदभाव की बात है तो यह बिल्कुल ही गलत बात है। पिछले साल गुजरात और बिहार में जो बाढ़ आयी थी उसमें भी केंद्र सरकार द्वारा उतनी ही राशि दी गई है जितनी राशि केरल को मिली है। तीनों सेनाओं को भेजकर जिस तरह केरल के बाढ़ प्रभावित लोगों को युद्धस्तर पर बचाने का काम हो रहा है उसके बाद भी वामपंथीयों द्वारा यह बचकाना करना उनकी सोची-समझी साजिश है जिसका लक्ष्य है भारत को तोड़ना।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest article