‘गवार्चनप्रयोगः’
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर

‘गवार्चनप्रयोगः’ – ग्रन्थ परिचय
संसार में गोधन के समान कोई दूसरा धन नहीं है । गौएँ समस्त प्राणियों को माता के समान सब प्रकार से सुख प्रदान करने वाली हैं। तीनों लोकों में इनसे श्रेष्ठ अन्य कोई नहीं है । अहैतु की कृपा करने वाली माता धर्म के चतुष्पाद स्वरूप को धारण कर सर्वदा सर्वत्र समुपलब्ध रहती हैं। ऐसी महनीय चमत्कारमयी सर्वसुलभ देवी की आराधना करना मनुष्यमात्र का सर्वप्रथम पावन कर्तव्य है । वर्षों से यह धारणा बनी थी कि गोमाता की शास्त्रोक्त उपासना के लिये वेदादिशास्त्रों में समुपलब्ध गोसम्बन्धी विविध अनुष्ठानों से सुसज्जित एक ऐसी प्रामाणिक पूजापद्धति का प्रकाश हो, जो साङ्गोपाङ्ग सनातनधर्म एवं राष्ट्र के संरक्षण में कवच का काम करे ।
इसी क्रम में वेदादिशास्त्रों में परमप्रवीण पण्डित श्री गङ्गाधर पाठक के सत्सङ्कल्प से सुनिर्मित यह अभूतपूर्व ‘गवार्चनप्रयोगः’ नामक सुव्यवस्थित प्रबन्ध गोसंवर्द्धनपूर्वक राष्ट्र के समभ्युदय में महनीय सहयोग प्रदान करेगा। सुरभि का प्रात:स्मरण, विस्तृत गोपूजन, गौ की आवरणपूजा, गौ के १०९ नामों की मणिमाला, सुरभि मन्त्र जप की विधि, हवनविधि, गोनवरात्र का शास्त्रीय विवेचन, विविध भावपूर्ण श्रीसुरभिस्तोत्र और ललितपदावलियों से युक्त आरती आदि इस ग्रन्थकी विशिष्टता है ।
एतदर्थ महाशक्ति गोमाता सम्बन्धी विविध विधिवत् अनुष्ठान पद्धतियों के लिये इस ‘गवार्चनप्रयोगः’ की अतिशय उपयोगिता है । प्रबन्ध की प्रामाणिकता तो प्रबुद्ध गोभक्तों के करकमलों से ही सिद्ध होगी । जय गोमाता.. जय गोपाल
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— पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’ —
मुख्याचार्य:- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर
“श्रीसुरभियागपद्धति” – आचार्य गङ्गाधर पाठक | डाउनलोड करें
“गावो जगन्मातरः” – आचार्य गङ्गाधर पाठक | डाउनलोड करें
“श्रीसुरभिस्तोत्रावलिः” – आचार्य गङ्गाधर पाठक | डाउनलोड करें
“महर्षि वाल्मीकि परिचय” – आचार्य गङ्गाधर पाठक | डाउनलोड करें
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