आज भी कभी श्री राम मन्दिर के बारे में सोचता हूँ तो अयोध्या का सच एक सपने जैसा लगता है। और जब यह सच होने वाला है तो और भी ज्यादा सपने मन में कोलाहल मचाए हुए हैं। जन्मभूमि की 67 एकड़ भूमि ही नहीं, समूची अयोध्या ही देवशिल्पी विश्वकर्मा का इंतज़ार कर रही है। इक्ष्वाकु वंश की यह अजेय भूमि जो समस्त भूमण्डल की राजधानी रही है, मैं इसे उसी रूप में देखना चाहता हूँ जैसा कि उसे महर्षि वाल्मीकि ने देखा होगा, महर्षि कम्ब ने अनुभूति की होगी और तुलसीदासजी ने उसे हृदय में बसाया होगा। आज अयोध्या पुनर्जन्म की प्रवेशिका पर खड़ी है..

श्रीरामजन्मभूमि के नवनिर्माण पर अपने विचार सूचिबद्ध कर रहा हूँ,

कौन हो श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट अध्यक्ष 

सबसे पहले श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष कौन होना चाहिए। हिन्दू इतिहास देखें तो पूरे भारत में बिखरे हुए अधिकांश विहंगम मंदिरों देवप्रासादों का निर्माण राजा महाराजाओं सम्राटों ने अपनी निजी अध्यक्षता में हृदय से एक एक पत्थर करीने से सजाकर कराया था। वास्तुमर्मज्ञ शास्त्रज्ञ ब्राह्मणों के निर्देशन में ऐसे मंदिरों का निर्माण होता था और हिन्दू समाज का धनिक से लेकर दीनहीन तक इसमें सम्मिलित रहता था। मेरी निजी राय में सूर्यवंशी क्षत्रिय मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री योगी आदित्यनाथजी राम मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष होने चाहिए, जिनकी गुरु परंपरा ने जन्मभूमि के हित बलिदानी रक्त बहाया है, महंत श्री अवेद्यनाथ जी रामजन्मभूमि न्यास के भी अध्यक्ष थे। पर चूंकि वर्तमान सेक्युलर व्यवस्था व राजनीति मंदिरों के धन संसाधनों का दुरुपयोग करती आई है इसलिए योगीजी को गोरक्षपीठाधीश्वर की हैसियत से यह अध्यक्षता करनी होगी जिसमें उनका सरकार में होना हिन्दू हितों का साधक बने बाधक नहीं। मन्दिर निर्माण की निष्कंटक अध्यक्षता हेतु आवश्यक राज्याधिकार, परंपरा, संतत्व, शुद्ध भाव, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक आदि सभी क्षेत्रों पर सामंजस्य हेतु मजबूत पकड़ उनके अधिकार में है। दीपोत्सव के भव्य आयोजन में अयोध्या के नवनिर्माण हेतु अपने स्वप्नों की झलक वे दिखा चुके हैं अतः उनका अध्यक्ष बनना निर्विघ्न अयोध्या पुनर्निर्माण हेतु सर्वश्रेष्ठ होगा। आज ट्रस्ट की बात आते ही कुछ तथाकथित ट्रस्टी सन्त समुदायों में भगदड़ सी मची है। जो आंदोलन में सोए रहे आज ट्रस्ट में शामिल होने को मचल रहे हैं, जो आपस में ही लड़ते रहते हैं, उनके भरोसे हिन्दुराष्ट्र का यह गंभीर पावन कार्य नहीं छोड़ा जा सकता।
योगी आदित्यनाथ राम मन्दिर अयोध्या yogi ayodhya ram mandir

संत समाज और जन्मभूमि आंदोलन के नायकों का हो समावेश

श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट में सनातन धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों के महान आचार्यों, सन्तों का एकत्व अति सम्माननीय रूप में होना चाहिए जो सनातन धर्म के वैश्विक केन्द्र के रूप में जन्मभूमि समेत अयोध्या के सर्वांगीण धार्मिक उत्कर्ष का मार्गदर्शन करेंगे। सन्तों के आशीर्वाद से ही राम मन्दिर निर्माण होगा। प्रमुखतया
 
1. श्रीरामजन्मभूमिन्यास के अध्यक्ष व आंदोलन के पुरोधा महंत श्रीनृत्यगोपालदास जी महाराज,
2. कोर्ट में जन्मभूमि के पक्ष में अकाट्य तर्क प्रस्तुत करने वाले रामानंदाचार्य श्री रामभद्राचार्य जी महाराज,
3. उडुपी पेजावर मठ मध्वाचार्य स्वामी श्री विश्वेश तीर्थजी महाराज जो विहिप के संस्थापक सदस्यों में रहे और ‘सोदरा हिंदवः सर्वे न हिन्दू पतितो भवेत्’ का उद्घोष किया।
4. जन्मभूमि आंदोलन की कर्णधार साक्षात् आंदोलनरूपा साध्वी ऋतम्भरा जी
5. रामालय ट्रस्ट पर हस्ताक्षर न करने वाले पुरी शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज,
6. श्रृंगेरी शंकराचार्य श्री भारती तीर्थजी स्वामीगल
7. रामानुजाचार्य श्री चिन्नाजीयर स्वामीजी
8. रामानुजाचार्य विद्याभास्कर श्री वासुदेवाचार्य जी महाराज
9. कांची कामकोटि शंकराचार्य श्री विजयेंद्र सरस्वतीजी महाराज
10. श्री राम मन्दिर का शिलान्यास करने वाले श्री कामेश्वर चौपालजी
11. जूनापीठाधीश्वर श्री अवधेशानंद गिरि जी महाराज
12. अन्य प्रमुख हिन्दू धार्मिक सम्प्रदाय व संगठनों के प्रतिनिधि इस ट्रस्ट के सदस्य होने चाहिए।
 
रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष आंदोलन पुरोधा महंत श्री नृत्यगोपालदास जी
रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष राम मन्दिर आंदोलन के पुरोधा महंत श्री नृत्यगोपालदास जी
उपर्युक्त ट्रस्ट में सन्तों के अतिरिक्त श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में अमूल्य योगदान देने वाले हिंदू नायकों को भी सदस्य होना चाहिए, जो कि राजनीति को स्वयं पर हावी न होने दें, जैसे श्री लालकृष्ण आडवाणी जी, उमा भारती जी, सुब्रह्मण्यम स्वामीजी।
 
हाल में इस ट्रस्ट में मुसलमान को शामिल करने की बात आई, तो इसका सीधा सा उत्तर है कि यह कतई सम्भव नहीं हो सकता। श्री राम मन्दिर आंदोलन कोई मॉलनुमा इमारत बनाने की बिल्डिंग कम्पनी नहीं है जो प्रत्येक को शामिल कर लिया जाए, यह तो हिन्दू स्वाभिमान की वेदी है, जिसके यजमान बस श्रीराम को परमात्मा मानने वाले सनातन धर्मी ही हो सकते हैं, अन्य नहीं।

रामभक्त बलिदानियों की याद में बने एक “हिन्दू स्वाभिमान संग्रहालय”

श्रीरामजन्मभूमि क्षेत्र में श्री राम मन्दिर आंदोलन का अविकृत इतिहास दर्शाने वाला हिन्दू स्वाभिमान संग्रहालय बनाना चाहिए। यहाँ राम मन्दिर आंदोलन में बाबर के समय से 76 युद्धों में बलिदान देने वाले सभी रामभक्तों व जन्मभूमि आंदोलन के कारसेवकों का डेटा होना चाहिए। बाबर के समय से बलिदानी रामभक्तों जैसे भीटी महाराज महताब सिंह, राजपुरोहित देवीदीन पांडेय, हंसवर महाराज रणविजय सिंह, रानी जयराज कुमारी, स्वामी महेश्वरानंद, स्वामी बालरामाचारी, बाबा वैष्णव दास, गुरु गोविंद सिंह, राजा देवीबख्श सिंह, वीर बाबा श्री वैष्णवदास, महंत उद्धवदासजी, सवाई महाराजा जयसिंह जी आदि की मूर्तियां होनी चाहिए। यह सब साकेतवासी महापुरुष हैं। 
 
व जन्मभूमि आंदोलन के पुरोधा ब्रह्मलीन हिंदू हृदय सम्राट श्री अशोक सिंघल जी, ब्रह्मलीन परमहंस महंत श्री रामचन्द्रदास जी, ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री दिग्विजयनाथजी व महंत श्री अवेद्यनाथजी, ब्रह्मलीन श्री देवरहा बाबा, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, श्री बाल ठाकरे जी, श्री सीताराम गोयल जी, श्री गोपालसिंह विशारद जी, श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी, श्री जयदयाल गोयन्दका जी, श्री रामानंद सागर जी, श्री के के नैय्यर जी, श्री देवकीनंदन अग्रवाल जी, श्री राम कोठारी- शरद कोठारी (कोलकाता), महेन्द्रनाथ बहोरि (कानपुर), रमेश पाण्डेय (अयोध्या), रामअचल गुप्ता (बाराबंकी), सेठाराम माली (जोधपुर), विनोद कुमार गुप्ता (अयोध्या), वासुदेव गुप्ता (अयोध्या), बलराज यादव आदि की प्रतिमाएं इस संग्रहालय में लगनी चाहिए। हिंदुओं की हर जाति ने आंदोलन में बलिदान दिया, उन सबके बलिदानी रामभक्तों के नाम शिलापट्टों पर अंकित होने चाहिए ताकि वह प्रेरणा दें कि जाति से पहले हम हिन्दू हैं। व हुतात्माओं के जरूरतमंद परिवार के सदस्यों को जन्मभूमि मन्दिर ट्रस्ट के अंतर्गत रोजगार व अन्य सुविधा देनी चाहिए।
रामजन्मभूमि राम मन्दिर आंदोलन के पुरोधा
आंदोलन में अद्वितीय योगदान देने वाले यथा श्री लालकृष्ण आडवाणी जी, साध्वी श्री ऋतम्भरा जी, महंत श्री नृत्यगोपालदासजी, श्री रामविलास वेदांती जी, श्री कल्याण सिंह जी, साध्वी उमा भारती जी, आचार्य श्री धर्मेन्द्र जी, श्री मुरली मनोहर जोशीजी, श्री विनय कटियार जी, श्री प्रवीण तोगड़िया जी, श्री कामेश्वर चौपाल जी, श्री नरेन्द्र मोदीजी, श्री राजनाथ सिंह जी, श्री अमित शाह जी, श्री के. पराशरण जी, आदि का नाम शिलापट्टों पर योगदान सहित अंकित होना चाहिए।
 
इण्डिया गेट की तर्ज पर युद्ध में बलिदान सैनिकों का जैसे सैनिक स्मारकों पर नाम अंकित होता है ऐसे समस्त कारसेवकों को किसी भी कानूनी दांवपेंच के भय से मुक्त कर उनके नाम इकट्ठे कर कारसेवक स्मारक पर मोटे मोटे अक्षरों में अंकित होने चाहिए।

विश्वभर में फैले श्रीराम वंशजों का हो सम्मिलन

लगातार दो वर्षों से योगी आदित्यनाथ जी दीपोत्सव व कुम्भ मेले में मणिपुर, मिजोरम आदि पूर्वोत्तर भारत, कोरिया, थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, म्यांमार, मलेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर, सुमात्रा, बाली, जावा, बोर्नियो, त्रिनिदाद, टोबैगो आदि देशों के प्रतिनिधियों को बुलाते रहे हैं जिनका श्रीराम व अयोध्या के साथ अटूट प्राचीन सम्बन्ध रहा है।
phra nakhon si ayutthaya थाईलैंड अयोध्या
थाईलैंड की प्राचीन राजधानी अयोध्या के मंदिर
कोरिया में कारक राजवंश के संस्थापक राजा किम सूरो का विवाह अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना हौ के साथ हुआ जिनके 60 लाख वंशज अद्यतन विद्यमान हैं। यह स्वयं को अयोध्या का वंशज मानते हैं। व थाईलैंड में तो अयुत्थ्या साम्राज्य ही श्रीरामोपाधिधारी सम्राट चलाते रहे हैं। आज भी बैंकॉक के समीपस्थ मध्य थाईलैंड के जिले “फ्रा नखोम सी अयुत्थ्या” का मूल संस्कृत नाम है “ब्रह्म नगर श्री अयोध्या”। इसके अतिरिक्त महान ख्मेर, चम्पा, फूनान, गुप्त, पल्लव, चोल आदि हिन्दू साम्राज्यों के अंतर्गत रहे दक्षिणपूर्व एशिया के इन सभी देशों में श्रीराम के चरणचिन्ह यत्र तत्र बिखरे दिखाई देते हैं। अयोध्या के पुनर्निर्माण में बृहत्तर भारत के इन सब श्रीरामवंशजों के हिन्दू प्रतिनिधि भी अवश्य शामिल होने चाहिए।

रामानंद श्रीवैष्णव परंपरा से हो श्रीरामलला की पूजा

श्री राम मन्दिर में पूजा अर्चना शास्त्रोक्त आगम निगमोक्त पद्धति से विद्वान ब्राह्मणों आचार्यों द्वारा होनी चाहिए, क्योंकि यह सम्पूर्ण राष्ट्र को प्रभावित करेगी। मेरा मानना है कि श्रीरामलला विराजमान की पूजा अर्चना स्वाभाविक व प्राकृतिक रूप से रामानंदी श्रीवैष्णव साधुओं द्वारा होना चाहिए जो श्रीराम को इष्ट मानने वाला उत्तर भारत का सबसे बड़ा वैष्णव सम्प्रदाय है। जगद्गुरु श्रीमद् रामानंदाचार्य प्रणीत “श्रीरामार्चनपद्धतिः” में वर्णित सर्वेश्वर श्रीरामचन्द्र का सपरिवार सर्वांग-प्रत्यंग, आयुध, अस्त्रादि सहित पुरुषसूक्त के वैदिक विधिविधानपूर्वक सर्वोपचार सहित शास्त्रीय विधि से सनातन धर्मोत्कर्ष के संकल्पपूर्वक पूजन होना चाहिए। इसमें सभी शास्त्रों सम्प्रदायों के पूजा अंगों को भी सम्मिलित कर व्यापक रूप देना चाहिए।
कनक भवन अयोध्या राममंदिर
श्रीकनक भवन सरकार, श्रीधाम अयोध्या

प्राचीन वास्तुशैली में हो श्री राम मन्दिर का भव्य और दिव्य निर्माण 

श्री राम मन्दिर का निर्माण नागरशैली के उत्कृष्ट वास्तुशिल्प द्वारा विद्वान आचार्यों के मार्गदर्शन में होना चाहिए। श्री राम मन्दिर के ज्योतिष व वास्तु पर गहन विचार होना चाहिए जिससे भव्यातिभव्य और दिव्यातिदिव्य श्री राम मन्दिर का निर्माण प्रशस्त होना चाहिए। श्रीरामलला विराजमान के दरबार के विग्रह मार्बल के नहीं होने चाहिए, यह शास्त्रीय विधा से अति कुशल मूर्तिकारों द्वारा शालिग्राम जैसी पवित्र शिलाओं पर अत्यंत सुंदर रूप में निर्मित होने चाहिए। मन्दिर परिसर में श्री रामलला विराजमान ही नहीं बल्कि सीतारामचंद्र जी, हनुमानजी, तीनों पत्नियों सहित दशरथ जी, सपत्नीक भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न, व वशिष्ठजी, विश्वामित्रजी, सुमन्त्र, विभीषण आदि परिवार व पार्षदों के भी विग्रह हों, ऐसा कुछ विलक्षण होना चाहिए।
श्री लक्ष्मीनारायण स्वर्ण मंदिर, वेल्लोर का एक चित्र

देश भर के हिन्दुओं को मिले राम मन्दिर निर्माण में कारसेवा का मौका 

सम्पूर्ण अयोध्या नगरी का पुनरूद्धार होना चाहिए। राम मन्दिर निर्माण के समय अपनी योग्यतानुसार ईंट पत्थर ढोने, खोदने, ठोकने, पीटने, गारा घोलने, पेंट करने, वृक्षारोपण, साफ सफाई आदि निर्माण सम्बन्धी प्रत्येक कार्य में देशभर के हिंदुओं द्वारा कारसेवा की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए पूर्व से रजिस्ट्रेशन सुविधा करनी चाहिए ताकि अव्यवस्था न फैले। अच्छे व्यवस्थापक इंजीनियरों के निर्देशन में देशभर के हिंदुओं को सम्पूर्ण अयोध्या नगरी के पुनर्निर्माण में कारसेवा करने में बढ़ चढ़कर भाग लेना चाहिए।
श्री राममंदिर कार्यशाला, अयोध्या में कारसेवा करते रामभक्त

स्वायत्त मंदिर ट्रस्ट द्वारा हो अयोध्या का विश्व की हिन्दू राजधानी के रूप में विकास 

श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर ट्रस्ट पूरी तरह स्वायत्त संस्था होनी चाहिए व मन्दिर से जुड़ा सभी धन इस ट्रस्ट के अधीन होना चाहिए जिसका प्रयोग केवल हिन्दू हित में होना चाहिए। इस धन द्वारा अयोध्या का विश्व की हिन्दू राजधानी के रूप में विकास, यज्ञ अनुष्ठान, गौशाला, गुरुकुल, हिन्दू युवाओं को शस्त्र शास्त्र प्रशिक्षण, सन्त सेवा, हिंदुओं के लिए आर्थिक सामाजिक धार्मिक आध्यात्मिक योजनाओं हेतु उपयोग होना चाहिए।
 
जन्मभूमि परिसर में एक भव्य यज्ञशाला व यज्ञकुण्ड शास्त्रानुसार निर्मित होने चाहिए। यहाँ देशभर से वेद की विभिन्न शाखाओं वाले विद्वान श्रोत्रिय ब्राह्मणों के लिए आश्रय होना चाहिए। नित्य पवित्र सामग्री से शास्त्रीय पद्धति से यज्ञ अनुष्ठान होने चाहिए। राम मन्दिर में सभी वैदिक सम्प्रदायों का पूर्ण सम्मान होना चाहिए, आपस में श्रेष्ठ व हीनताबोध का अंत होना चाहिए।
 
यहाँ एक विशाल सत्संग भवन का निर्माण होना चाहिए, जहाँ हज़ारों हिन्दू एक साथ बैठ सकें। जहाँ पुराणों, रामायण, गीता, महाभारत की कथाएं हों। खैर यह कहने की बात नहीं कि जन्मभूमि मन्दिर में सदैव अखण्ड रामायण पाठ तो चला ही करेंगे।
यहीं एक देशी नस्ल की गौवंश की सुंदर व विशाल गौशाला का निर्माण होना चाहिए, जिसके शुद्ध दूध से बने पदार्थों से ही रामलला विराजमान की परिचर्या होनी चाहिए। व श्री राम मन्दिर द्वारा एक अखण्ड अन्नक्षेत्र भण्डारा चलना चाहिए जहाँ सभी श्रद्धालु निशुल्क रामलला के प्रसाद स्वरूप भोजन पाएं।
 

मन्दिर सम्बंधित व्यापारिक गतिविधियों को पूरी व्यवस्था से संचालित करना चाहिए। यहाँ केवल हिंदुओं को व्यापार मिलना चाहिए। इस व्यापार में जन्मभूमि आंदोलन में योगदान व बलिदान देने वाले जरूरतमंद कारसेवकों व उनके परिजनों को विशेष रूप से स्थान देने का प्रयास होना चाहिए। यहाँ हिंदुओं के प्रत्येक समूह को उचित प्रतिनिधित्व उनके काम अनुसार का मिलना चाहिए।

अयोध्या में सरकार द्वारा सभी सुविधाओं से लैस बड़ा अस्पताल, बीएचयू की तर्ज पर एक प्राचीन (संस्कृत, ज्योतिष, शास्त्र रिसर्च, वेद आदि) व आधुनिक विषयों के विभागों वाला बड़ा विश्वविद्यालय खोलना चाहिए। पूरे शहर को विकसित इस प्रकार करना चाहिए कि प्राचीन संस्कृति व सौंदर्य का नाश न हो।

बने एक हिन्दू धर्म लाइब्रेरी

यहाँ एक “हिन्दू धर्म लाइब्रेरी’ बननी चाहिए जहाँ हिन्दू धर्म के वेद, पुराण आदि सम्पूर्ण धर्मशास्त्र, ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म विद्या आदि के समस्त ग्रन्थ, हिन्दू धर्म सम्बंधित समस्त ग्रन्थ, वैदिक सम्प्रदायों, सन्तों, आचार्यों, महापुरुषों के समस्त ग्रन्थ उपलब्ध होने चाहिए, धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन हेतु इस्लाम, ईसाईयत, जैन, बौद्ध, सिख ग्रन्थ भी उपलब्ध होने चाहिए व हिन्दू अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित होना चाहिए।

हर भारतीय करे दिल खोलकर दान 

श्रीरामजन्मभूमि व अयोध्या उद्धार के लिए देशभर के लोगों को दिल खोलकर दान करना चाहिए व नियमानुसार अनेक तरह के प्रकल्प अपने हाथ में लेकर अयोध्या नगरी को इंद्रलोक की तरह चमका देना चाहिए। इससे हिंदुओं का भाग्यसूर्य भी उदित होगा। इसके अतिरिक्त भी अनेक सुझाव व पॉइंट हैं जो जोड़े जा सकते हैं। श्री राम मन्दिर निर्माण के साथ अब श्रीकृष्णजन्मभूमि मथुरा और श्री काशीविश्वनाथ को प्राप्त करने की नई यज्ञवेदी बनानी होगी जिसमें हिंदुओं को अपने पुरुषार्थ से आहुतियाँ देनी होंगी। 
 
अनन्तकोटि ब्रह्माण्डनायक नराकृति परब्रह्म स्वराट पुरुष सर्वान्तरात्मा भगवान श्री रामलला विराजमान परमानन्दकन्द की जय

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