3 C
Munich
Saturday, December 13, 2025

साम्राज्यलक्ष्मी का प्रकटीकरण राजा के लिए जरूरी

Must read

अविनाश भारद्वाज शर्मा
अविनाश भारद्वाज शर्मा
लेखक भारतीय इतिहास, संस्कृति, धर्म एवं अध्यात्म के गहन जानकार हैं

सामान्य जन और साधकों के लिये शास्त्र का आदेश है की वो अपनी साधन-भजन-अर्चन को गोप्य रखें। परंतु श्रीमंतो, धनिकों और राजन्यवर्ग जब अपने धार्मिक कर्तव्य का निर्वहन करते हैं तो वहां इस अति कठोर “गोप्यता” के नियम को निरस्त कर दिया गया शास्त्रकारों, लोक समाज के कर्ताओं द्वारा। और उसे पूरी साम्राज्यलक्ष्मी सहित तरह समाज और प्रजा के मध्य करने के लिये कहा।

प्रमाण देखिये आसपास के कई प्राचीन मंदिरों मे उनके निर्माण कर्ताओं के विनयावनत मूर्तिशिल्प, चित्र इत्यादी यथा तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर की भित्ती पर बना चोळ राज राजराजा चोळ का अपने शैव गुरू को श्रद्धापूर्ण नेत्रों से निरखते हुये चित्रण। या तिरूमला पर्वत पर श्री मंदिर के प्राकारों में श्री कृष्णदेवराया और उनकी दोनों रानियों की श्री वेंकटेश्वर के सामने प्रणाममुद्रा में पंचलौह प्रतिमायें।

 

पूछें क्यों?

तो वह इसलिये की समाज हमेशा अपने नायकों, श्रेष्ठ जनों का अनुसरण करता है। शास्त्रविधि और लोक चेतना इन नायकों को एक और कर्तव्य का बोझ डालती है और वह होता है “लोक संग्रह”। जब धनिक, श्रीमंत, राजन्य वर्ग, महाराजोपाधिधारी मनुष्य, पंत प्रधान इत्यादी जन धार्मिक और सामाजिक परोपकारी कार्यों को करते हुये ये प्रजाजन, लोक समाज, युवावर्ग को दिखेंगे तो वह भी इसी प्रकार के कार्यों को करने प्रेरित होगा।

चाहे वह दिखावे को करेगा पर कुछ तो करेगा ही। नीती कहती है…

“महाजन गतो येन पंथा”

चलिये ये एक विषय रहा, कल से पंतप्रधान नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ यात्रा और गरूड़चट्टी की गुफा मे ध्यान करते हुये पिक्स पर बहुत छिछालेदारी चल रही है। आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं की मोदी दिखावा कर रहा है ब्ला ब्ला ब्ला ….
सो ध्यान से सुन लीजीये

“राजा का कोई कार्य निजी नही होता। वो जो कर रहा हैजो सोच रहा है उस सबका प्रभाव जन जन पर पड़ता है।”

रही बात रेड कारपेट की तो केदारनाथ गये होंगे और वहां की ठंडक देखी होगी वे समझ सकते हैं की मंदिर के बाहर पत्थरीले फर्श पर पांव रखनाकितना कष्टदायक होता है। अति गर्मी और अति सर्दियों मे अकसर मंदिरों के खुले हिस्से लाल या हरी जाजम बिछा दी जाती है भाविकों की सुविधा के निमित्त। और तब भी ना मानने का मन हो और ये सब दिखावा लग रहा हो तो मानिये की ये दिखावा है। क्योंकि भारत का पंत प्रधान गया है तीर्थयात्रा पर, वो ऐश्वर्य सहित ही जायेगा ना की भंडारों से पेट भरते कथरी ओड़कर ठंड बारिश से बचते।

 नरेन्द्र मोदी साम्राज्यलक्ष्मी

निर्णय आप करिये आपको कैसा राजन्यवर्ग पसंद है। पराई अंग्रेजी नार के साथ सोलह साल के बालक के समान फ्लर्टिंग करता अधेड़ रसिया, गरीब जनता के खूनपसीने की कमाई और देश की सुरक्षा को धता बता कर अपनी इम्पोर्टेड पत्नी के साथअधनंगे अवस्था में पिकनिक मनाते सत्ताधीश।

या

महाराजाधिराज राजराजा चोळ, सम्राट आंध्रभोज कृष्णदेवराय, सर्वराज धर्मप्रचारबन्धु परम भागवत समुद्रगुप्त, सरीखे नहीं तो कम से कम उन्हीं के पथ का किंचित अनुसरण करते हुये अपने त्यौहार सैनिकों के साथ मनाता और श्री क्षेत्र केदार भूमी पर श्री मंदिर के सामने विनयावनत राजा।

मर्जी आपकी, ध्यान से चुनिये अपने नायकों को क्योंकी चल अचल सम्पत्ति के साथ साथ आप इन हीरोज को भी अपनी आने वाली संतति को छोड़ जायेंगे विरासत में।

~~ अविनाश भारद्वाज शर्मा

परमभट्टारक नरेन्द्र मोदी और महादण्डनायक अमित शाह के वीरोचित निर्णय

म्यांमार की माँ ‘आंग सान सू की’ को हर भारतीय का नमन

26 दिन उपवास कर ऐसे वीर सावरकर ने बुलाया मृत्यु को..

 

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest article