आजकल हिन्दुओं में बड़ी चतुराई से रावण का महिमामंडन किया जा रहा है और यह झूठ फैलाया गया है कि रावण ने किसी स्त्री का स्पर्श नहीं किया था, उसमें वासना थी तो संयम भी था, आदि आदि जिससे रावण को चरित्रवान साबित किया जा सके और लोगों को श्रीराम से दूर करके राक्षस रावण के समीप ले जाया जा सके। पर वास्तव में यह पूरी तरह झूठ है!!
श्रीराम के जीवन का सबसे प्रमाणिक ग्रन्थ है वाल्मीकि रामायण जो कि श्रीराम के समकालीन ऋषि वाल्मीकि द्वारा रचित है। श्रीराम के जीवन पर यही सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण एक बहुत ही दुष्ट राक्षस था। जो कि सभी अवगुणों की खान था, वह यज्ञों में मांस फिंकवाता था, ऋषियों की हत्याएं कराता था, स्त्रियों का बलात्कार जैसा जघन्यतम कर्म करता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार वह कतई भी चरित्रवान नहीं था। उसके पापों, वहशीपन और अधर्म के कारण वाल्मीकि रामायण में सभी ने उसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। सीताजी ने रावण की अनेक बुरे जानवरों से तुलना की है और उसे उन जानवरों के समान कहा है :-
1. कुत्ता
सन्दर्भ : वाल्मीकि रामायण 5.21.31
कुत्ता एक वफादार व पालतू पशु है पर वह एक दम्भी पशु है जो अपनी औकात से बाहर के कामों को करने में रुचि लेता है। इसलिए अपमानसूचक शब्दों में हमेशा “कुत्ता” सम्बोधन प्रधान रहा है। रावण भी अपनी हैसियत से बाहर, श्रीविष्णु की लक्ष्मी का हरण करने चला था। इसलिए कहा गया है, “कभी तो कुत्ता भी शेर बनने लगता है”। लंकेश को भी इसीलिए कुत्ते के समान कहा गया है।
2. सियार
सन्दर्भ : वाल्मीकि रामायण 3.47.45
सियार एक धूर्त जानवर है। कपटी, धोखेबाज और दुष्ट को धूर्त कहा जाता है। इसके लिए सबसे बड़ी मिसाल धूर्त सियार की दी जाती है। ‘रंगा सियार’ कहावत भी प्रसिद्ध है। सीताजी का धोखे से अपहरण करने वाला रावण भी इसीलिए सियार के समान धूर्त कहा गया है।
3. बिल्ली
सन्दर्भ : वाल्मीकि रामायण 3.47.45
बिल्ली एक डरपोक जानवर है। शूद्रता के लिए बिल्ली का उदाहरण दिया जाता है। जैसे वह तो बिल्ली की तरह दुम दबाकर भाग गया। रावण भी अंत तक मारीच, मेघनाद, कुम्भकर्ण की आड़ में छुपता बचता रहा। इसलिए उसे बिल्ली के समान कहा है।
4. कौआ
सन्दर्भ : वाल्मीकि रामायण 3.47.46
कौआ एक कर्कश, ढीठ व अपशकुनी पक्षी है। यह सभी को वाणी से कष्ट देता है। रावण भी ऐसा ही अप्रिय भाषण करने वाला क्रूरकर्मा था। वह भी एकदम कौए की तरह काला था, रूप से भी कर्म से भी। इसलिए उसे कौए के समान कहा गया है।
5. मद्गु (सांप की जाति)
सन्दर्भ : वाल्मीकि रामायण 3.47.47
सांप एक जहरीला व सबको भयभीत व आतंकित करने वाला प्राणी है। सभी को यह अप्रिय होता है। मद्गु एक छोटा सा शुद्र जलपक्षी भी होता है। रावण भी ऐसा ही जहरीला व सबको आतंकित करने वाला आतंकवादी था। इसलिए उसकी तुलना मद्गु से की गई है।
6. गिद्ध
सन्दर्भ : वाल्मीकि रामायण 3.47.47
गिद्ध एक बहुत ही अमंगलकारी पक्षी है। यह मृत जीवों के मांस पर पलता है और हिंसक होता है। एक तरह से यह मृत्यु यानी शोक और अमर्ष का प्रतीक है। रावण भी ऐसा ही अमंगलकारी, ऋषियों तक की हत्या करने वाला, व मानव मांसभक्षी था। इसलिए उसकी तुलना गिद्ध से की गई है।
सीताजी ने बहुत ही बुद्धिमत्तापूर्वक दुष्ट राक्षस रावण के लिए पशुओं की उपमाएं चयनित की हैं। भगवती सीता पराम्बा को बारम्बार प्रणाम है।
यह भी पढ़िए :-
क्या रावण ने सीताजी का स्पर्श नहीं किया था? बड़ा प्रश्न!
दुष्ट राक्षसियों के प्रति कैसा था हनुमान जी का व्यवहार? हनुमानजी का फेमिनिज़्म!!
[…] […]
[…] […]
[…] […]