कुछ लोगो का हमेशा ये कहना होता है कि गणेश बस एक कल्पना है किसी इंसान के सर की जगह किसी हाथी का सर कैसे हो सकता है? सर कटते ही किसी की मृत्यु हो जाती है फिर गणेश का सर कटने पे मृत्यु क्यों नही हुए सब कल्पना है। पर आज हम बताएँगे कि क्या यह सब सच में विज्ञान के विरुद्ध है?
क्या सच मे इंसान की मृत्यु सर कटने से हो जाती है? —
ब्रेन डेथ को मौत का कनफर्मेशन नहीं माना जाता। बल्कि दिल के रुकने को डेथ कनफर्मेशन माना जाता है। हालाकिं दिल रुकने के बाद फिर चलते हुए देखा गया है और इसी प्रकार कोमा की हालत मे दिमाग काम करना बंद कर देता है! लकिन इसके बाद भी इंसानो को जीवित देखा गया है! कोमा की हालत मे ब्रैन डेड को पहचानने के लिये आप्नोवा नामक एक टेस्ट किया जाता है! जिससे पता चलता है कि ब्रेन डेथ(सर कटने जैसा ही) होने पे भी अभी इंसान जीवित है।
उदहारण – कॉकरोच का सर कट जाने पे भी वो जीवित रहता है और उसकी मृत्यू सर कटने से नही बल्कि भूखा रहने से होती है|
क्या किसी इंसान के सर की जगह हाथी का सर लगाना संभव नही है ? —
मैं आपको आधुनिक समय के उदहारण के साथ समझाता हूं –
(क) – ईरान के एक सैनिक ने बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ गँवा दिए और 3 साल के बाद एक मृत व्यक्ति के दोनों हाथ उंसके हाथों के साथ जोड़ दिए गए और आज वो सैनिक आसान और सामान्य जीवन बिता रहा है|
(ख)- बॉल्टमॉर में रहने वाले 10 साल के जियॉन हार्वे दुनिया का पहला इंसान है, जिसके दोनों हाथों का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया। मानव अंगों के ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। जुलाई 2015 में 8 साल के जियॉन का ट्रांसप्लांट किया गया था। इस बात को अब 2 साल हो चुके हैंऔर जियॉन के दोनों हाथों बिल्कुल स्वस्थ हैं।
(ग) – अब जल्द ही इंसान के सिर का प्रत्यारोपण भी संभव हो सकेगा। वैज्ञानिक चूहे और कुत्ते पर पॉलीथैलीन ग्लाइकोल (पीआईजी) केमिकल का प्रयोग कर उनकी रीढ़ की हड्डी को फिर से जोड़ने में कामयाब हो गए हैं। अगली बारी अब इंसानों की है और दावा किया जा रहा है कि 2017 लास्ट तक जानवरों के साथ ही मनुष्यों पर भी इस प्रयोग को आजमाया जाएगा।
(घ) – दक्षिण कोरिया के कोनकुक यूनवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पांच चूहों पर पीआईजी का परीक्षण किया। इनमें से चार की मौत हो गई जबकि पांचवें चूहे में सर्जरी के दो दिन बाद कुछ हरकते देखी गई। दो सप्ताह के अंदर यह चूहा इधर-उधर घूमने लगा। चूहा अपने अंगों के बलबूते खड़ा हो गया और खुद से खाने भी लगा।
(ङ) – कुत्ते पर पीआईजी केमिकल का परीक्षण किया और देखा कि तीन हफ्ते के अंदर उसकी रीढ़ की हड्डी ठीक से काम करने लगी। इसकी वीडियो फुटेज भी दिखाई गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दो हफ्ते के अंदर कुत्ता अपनी आगे के दो पैरो पर खड़ा हुआ और उसके बाद तीसर हफ्ते के अंदर ही वो पहले की तरह चलने लगा। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इतने शोधभर से ही मनुष्यों पर यह प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा रशिया के वैज्ञानिक हेड ट्रांसप्लांट का दावा करते रहे हैं।
मुख्य भाग – इटली के डॉक्टर इस वर्ष के अंत तक दुनिया की पहली ‘हेड ट्रांसप्लांट’ सर्जरी करने जा रहे हैं। डॉ. सर्जियो केनावेरो ने बताया कि यह सर्जरी रूस के 31 साल के वेलरी स्पिरीडोनोव पर की जाएगी, जो एक कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं।
गणेश स्पिरीडोनोव मांसपेशी खराब कर देने वाले रोग ‘वर्डनिंग-हॉफमैन डिजीज’ से जूझ रहे हैं और फिलहाल ह्वीलचेयर पर हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस ऑपरेशन के बाद वह वयस्क जीवन में पहली बार अपने पैरों पर चल पाएंगे। एक ब्रेन डेड डोनर का सिर उनके शरीर पर लगाया जाएगा।
सिर को लगाने से तुरंत पहले इसे बेहद ठंडे तापमान में रखा जाएगा ताकि रक्तस्राव को रोका जा सके। इस पूरी प्रक्रिया में 150 डॉक्टर व विशेषज्ञ शामिल होंगे। चार्ल्स ओ स्ट्रीकर ट्रांसप्लांट सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर जोस ओबरहोर्जर ने कहा, ‘किसी भी कामयाब ट्रांसप्लांट के लिए आपको इम्यून सिस्टम को बचाना होता है। ऐसा इसलिए ताकि शरीर किसी नए अंग को अपना सके। साथ ही, इस बात का ध्यान रखना होता है कि सर्जरी के बाद कोई संक्रमण न फैले।’
आधुनिक विज्ञान से कही अग्रणी हमारा वैदिक विज्ञान इस तकनीक को पहले ही विकसित कर चुका था। हमे वेदों में छुपे विज्ञान को रिसर्च की जरूरत है । गणेश एक कल्पना नही बल्कि एक सत्य है जिसे आधुनिक विज्ञान भी झूठा नही सिद्ध कर सकता।
– अजेष्ठ त्रिपाठी, लेखक मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया निवासी हैं और हिन्दू धर्म, संस्कृति, इतिहास के गहन जानकार और शोधकर्ता हैं।
Great Info… Thanks