‘श्रीवेदव्यास पूजापद्धति’
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
श्रीवृन्दावन धाम

‘श्रीवेदव्यास पूजापद्धति’ – ग्रन्थ परिचय
व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे ।
नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नमः ॥
वेद-पुराणोक्त सनातन परम्परा में आषाढपूर्णिमा के दिन व्यासपूजा (गुरुपूजा) का विधान है, क्योंकि धर्मशास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्णद्वैपायन वेदव्यासजी का प्रादुर्भाव आषाढपूर्णिमा को ही हुआ था । समस्त आर्यज्ञान सम्पन्न शास्त्रों के प्रस्तोता, विस्तारक एवं प्रचारकों में प्रमुख स्थान वेदव्यासजी का ही है। “व्यासोच्छिष्टं जगत्सर्वम्” पृथ्वी के सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञानवाङ्मय भगवान् वेदव्यासजी के मुख से ही निःसृत हैं। वे साक्षात् विष्णुस्वरूप हैं। श्रीकृष्ण तथा वेदव्यास अभिन्न हैं। उनके द्वारा सर्वकल्याणकारी सनातनधर्म के अनुसरण का सौभाग्य सर्वसाधारण को प्राप्त हुआ।
परन्तु गुरुपूर्णिमा अर्थात् व्यासपूर्णिमा अथवा अन्य माङ्गलिक अवसरों पर स्वतन्त्र वेदव्यासपूजाविधान का कोई प्रामाणिक ग्रन्थ न होने से वेदव्यासजी का सविधि पूजन करना सर्वसाधारण सनातनियों के लिये कठिन था, इसलिये लोक में केवल प्रतीकात्मक पूजन का ही ज्यादा प्रचलन चल पड़ा था। ऐसे में सनातन धर्मानुयायियों के लिये व्यासपूर्णिमा आदि अवसरों पर सविधि पूजनार्थ ग्रन्थ की अत्यन्त आवश्यकता थी।
उपरोक्त आवश्यकता की पूर्ति का महनीय कार्य वेदलक्षणा गोमाता के उपासक तथा वेद पुराण आदि शास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान् पण्डित गङ्गाधरजी पाठक के द्वारा विविध विषयों से समन्वित श्रीवेदव्यासपूजापद्धति नामक शास्त्रोक्त लघु ग्रन्थ सम्पादित किया गया है।
भगवान् महर्षि वेदव्यास जी के विस्तृत पूजा विधान से युक्त यह ग्रन्थ ‘श्रीवेदव्यास पूजापद्धति’ अतिशय उपयोगी है ।
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— पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’ —
मुख्याचार्य:- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर
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