श्रीसुरभिस्तोत्रावलिः
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
श्रीवृन्दावन धाम
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर

‘श्रीसुरभिस्तोत्रावलिः’ – ग्रन्थ परिचय
वेदादिशास्त्रों में गोमाताकी महिमाका सर्वाधिक वर्णन किया गया है । गोमाता सम्पूर्ण देव, ऋषि और पितरोंकी आश्रयभूता हैं । इनके विग्रहमें तैंतीसकोट देवगण निवास करते हैं। गौको सर्वतीर्थमयी और सर्वदेवमयी कहा गया है गोमाताकी पूजासे वे सभी पूजित होकर तृप्त होते हैं ।
गोसेवा या गोदर्शनसे सम्पूर्ण तीर्थोकी यात्रा एवं सभी देवताओंके दर्शनका पुण्य प्राप्त होता है । ऐसी महनीय चमत्कारमयी सर्वसुलभ देवीकी आराधना करना मनुष्यमात्रका सर्वप्रथम पावन कर्तव्य है । एतदर्थ महाशक्ति गोमाताकी विधिवत् आराधनाके लिये निम्न स्तोत्रों से युक्त इस ‘श्रीसुरभिस्तोत्रावलिः’ की अतिशय उपयोगिता है । पुस्तक में निम्न स्तोत्र गोमाता की स्तुति हेतु दिए गए हैं –
१. श्रीसुरभिध्यानम्
२. श्रीसुरभिद्वादशनामस्तोत्रम्
३. श्रीसुरभिषडक्षरस्तोत्रम्
४. श्रीसुरभ्यष्टकम्
५. गोमंगलाष्टकम्
६. गोप्रार्थनाष्टकम्
७. श्रीसुरभिमानसपूजास्तोत्रम्
८. श्रीसुरभिस्तवनम्
९. श्रीसुरभिकवचम्
१०. श्रीसुरभ्यष्टोत्तरशतनामावलिः
११. श्रीसुरभिपुष्पांजलिः
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— पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’ —
मुख्याचार्य:- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर
“गावो जगन्मातरः” – आचार्य गङ्गाधर पाठक | डाउनलोड करें
“श्रीसुरभियागपद्धति” – आचार्य गङ्गाधर पाठक | डाउनलोड करें
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