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Friday, December 12, 2025
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सूर्यसिद्धान्त

शास्त्रानुसार व्रतोपवासादि में सूर्यसिद्धान्तीय पञ्चाङ्ग ही ग्राह्य

लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’ (मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या) साङ्गोपाङ्गाय वेदाय ज्योतिषां ज्योतिषे नमः । सूर्याय सूर्यसिद्धान्तज्योतिर्विद्भ्यो  नमो नमः ।। व्रतोत्सवादि सम्पादनार्थ एवं यज्ञोपनयनादि धार्मिककृत्यों के लिये सम्यक् कालपरिज्ञानार्थ...

सूर्यसिद्धान्त सार्वकालिक और सार्वभौमिक है

विक्रमादित्य के नवरत्न वराहमिहिर की पञ्चसिद्वान्तिका−१⁄३१ में सूर्यसिद्धान्त को “सौर” सिद्धान्त की संज्ञा दी गयी तथा पञ्चसिद्वान्तिका−१⁄४२ में इसे “सावित्र” सिद्धान्त कहा गया। अतः...

‘श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पंचांग’ केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर में विमोचित

चैत्र अमावस्या, २०७७, 12 अप्रैल, 2021 को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. हिन्दकेसरी सभागार में राजस्थान के एकमात्र सूर्यसिद्धान्त गणना पर आधारित पञ्चाङ्ग...

राजस्थान का एकमात्र सूर्यसिद्धान्तीय श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्ग प्रकाशित

नम्र निवेदन - श्रीनिम्बार्क परिषद् सादर सूचित किया जा रहा है कि आराध्यदेव ठाकुर श्रीगोविन्ददेवजी एवं ठाकुर श्रीसरसबिहारीजी की असीम अनुकम्पा से प्राचीन गणित श्रीसूर्यसिद्धान्त पर...

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