विक्रमादित्य के नवरत्न वराहमिहिर की पञ्चसिद्वान्तिका−१⁄३१ में सूर्यसिद्धान्त को “सौर” सिद्धान्त की संज्ञा दी गयी तथा पञ्चसिद्वान्तिका−१⁄४२ में इसे “सावित्र” सिद्धान्त कहा गया। अतः...
चैत्र अमावस्या, २०७७, 12 अप्रैल, 2021 को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. हिन्दकेसरी सभागार में राजस्थान के एकमात्र सूर्यसिद्धान्त गणना पर आधारित पञ्चाङ्ग...
नम्र निवेदन
- श्रीनिम्बार्क परिषद्
सादर सूचित किया जा रहा है कि आराध्यदेव ठाकुर श्रीगोविन्ददेवजी एवं ठाकुर श्रीसरसबिहारीजी की असीम अनुकम्पा से प्राचीन गणित श्रीसूर्यसिद्धान्त पर...