भारत के वास्तविक चरित्र और स्वरूप को ईसाई जनता तक या पश्चिमी लोक तक न पहुँचने देने में चर्च नियंत्रित मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी तक यह तन्त्र पूर्ण सफल होने के कारण अत्यन्त मनबढ और ” कैरेक्टर मेकर ” हो गया था।
पश्चिमी प्रचारतन्त्र के पास चर्च-चालित विश्वविद्यालय और बड़े बड़े प्रेस हैं। इनकी तुलना में विश्व के किसी भी देश, सभ्यता या उद्योग जगत के पास इतना प्रबल तन्त्र नहीं है। अतः ये जो चाहते थे सब कर ले जाते थे। पहली बार इनकी इस बढ़त और पकड़ को यूरोप की ईसाई जनता ने ही तोड़ना शुरू किया । साथही इनकी कुटिल चाल को विफल करना भी आरम्भ किया । पश्चिमी प्रचार तन्त्र का भारतीय हस्तक टाइम्स, हिन्दू आदि अनेक अंग्रेजी अखबार बने रहे । ये आज भी वही लिखते हैं जो पश्चिमी जगत के नीति नियंता चाहते है । सत्य को मरोड़ कर एक साथ स्यारी फेंकार (समूह बद्ध लोमड़ियों की चिल्लाहट) के द्वारा विश्व के मत को बदल देने या नए मत को सृजित कर देने की अपूर्व क्षमता इनके पास है । इक्कीसवीं शताब्दीमें सर्वाधिक धन मीडिया ग्रुप में लगाने वाले लोग ये ही हैं । ग्राहम स्टेन को जलाने से लेकर शंकराचार्यकी गिरफ्तारी तक के मामले को ये अपने हिसाब से परोस ले गये । पहली बार प्रधानमन्त्री के रूपमें अटलजी के वक्तब्य – “धर्मान्तरण होगा तो प्रतिक्रिया होगी ही” ने पश्चिमी जनता के मन में इनकी धूर्तता को उजागर कर दिया । पहलीबार ये अपमानित महसूस किए पर निर्लज्जता के गाउन को पहनकर पुनः नये कलेवर में सज्जित खड़े हो गए।

पश्चिमी प्रचारतन्त्र मुख्यरूप से उन बड़े विध्वंसक घरानों के धन से संचालित है जिनके हजारों हाथ-पैर कामकरते हैं । अमेरिका में ट्रम्प को जमींदोज करने के बाद यह तंत्र अपनी विशाल सेना के साथ मोदी को पराजित करने के षड्यंत्र में लगा हुआ है । सात वर्षों से भारत के बाजार पर से इनकी पकड़ ढीली पड़जाने से ये व्यग्र हो चुके हैं, इनकी लहलहाती फसलें ईसाई जनसंख्या को नहीं बढ़ा पा रही हैं न ही सत्ता के सिंहासन को दखल कर पा रही हैं, न ही स्वर्ण तस्करी में सफल हो पा रही हैं।

कोरोना भारत में विदेशों से हवाई उड़ान के माध्यम से आया। भारत कोही नहीं विश्व को कोरोना चीन से उपहार में मिला पर इस दुष्टतंत्र ने कहा

१ कोरोना महाकुंभसेफैला।
२ सन२०२० में कहा मोदी ने ताली थाली बजवाई।इससे कोरोना नहीं रुका क्योंकि मोदी ने कोई प्रयास नहीं किया।
३ लॉकडाउन लगाने से मजदूरों की स्थिति बिगड़ गयी ।
४ जब भारतने वैक्सीन खोज ली तब इन्होंने तेजी से अफवाह फैलाया “यह टेस्टेड “नहीं है । इसे लगवानेसे खतरा है ।
५ बंगाल चुनाव में रैलियों की भीड़ केवल मोदी के कारण दिखलाई गई। उनसे कोरोना फैलने की बात कही गयी।
६ आज कहा जा रहा है मोदीके नेतृत्वके कारण कोरोना पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है ।
७ मोदी के शासनतन्त्र में कोरोना से लोग बेतहासा मर रहे हैं। (राज्य सरकार के दायित्वों और भ्रष्टाचार को दबाया जा रहा है । बंगाल में हिन्दुओं के कत्ल की चर्चा तक नहीं होने दी गयी ।)

आवश्यक कदम

मोदी जी ने भारत के मीडिया घरानों पर विश्वास न करके पूर्ववर्ती सरकार से सीख ले कर यदि हिन्दुत्व प्रधान न्यूनतम २० मीडिया घराने बनवा दिये होते तो आज इस वर्तमान मीडिया तन्त्र के समकक्ष हमारे भी कम से कम २० न्यूज चैनल होते। उनकी बातों का काट होने लगता। न्यायपालिका से लेकर जनता तक को सोचना पड़ता कि आखिर सत्य क्या है? यह कार्य एक न एक दिन हिन्दूसत्ता संचालकों को करना ही पड़ेगा।

भारतमें लाखों की संख्या में पत्र-पत्रिकायें छपती हैं । ये बड़े समूहों में दबाई जाने वाली बातों को उजागर करती हैं । इन्हीं से आज जनता बौद्धिक पाथेय प्राप्त करती है । आधुनिक ” पांचजन्य ” की फुसफुसाती आवाज से भारत अनजान है।मोदी जी जागिये और प्रबुद्ध राष्ट्र प्रहरियों को प्रबोधित कर पूर्वी प्रचार तन्त्र की एक नई वाटिका को सुसज्जित करा दीजिये।हिन्दुओं के कानों को पश्चिमी प्रचार तन्त्र की आवाज से उत्पन्न होने वाली पीड़ा को दूर कराइये और सत्य , सार्वकालिक भैषज्य तथ्यों को भारत की आत्माके अनुकूल और सनातन मूल्योंके रक्षक के रूप में लोगों तक पहुँचवाईये।आपके हाथलगाये बिना यह कार्य असम्भव है।

हे देवर्षि नारद! आद्य पत्रकार !! भारत की आवाज को विष्णु लोक से लेकर पाताल लोक तक फैलाने में मदद कीजिये।हे हृषीकेश! पांचजन्य की आवाज को दश दिशाओं में गुंजित कर दीजिये।

डॉ कामेश्वर उपाध्याय
अखिल भारतीय विद्वत्परिषद
१५ / ५ / २०२१

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here