कुछ लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि स्त्री कितनी भी दुष्ट हो उसका सम्मान करना ही चाहिए फिर चाहे वह वैश्या ही हो। इसके लिए वे हिन्दू ग्रन्थों से कुछ तर्क भी देते हैं। एक तर्क है कि...
हिन्दूराष्ट्र के निर्मम शून्य आकाश में एकाएक अनेक वर्ण के मेघ परिधावी संवत्सर में उभरे हैं। एक विकट महापरिवर्तन आरम्भ हो चुका है। सर्वराज सम्राट परमभट्टारक श्री नरेन्द्र मोदी और सर्वाध्यक्ष महादण्डनायक श्री अमित शाह द्वारा पहले 370 नाम की दुर्धारा का...
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
(मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या)
साङ्गोपाङ्गाय वेदाय ज्योतिषां ज्योतिषे नमः ।
सूर्याय सूर्यसिद्धान्तज्योतिर्विद्भ्यो नमो नमः ।।
व्रतोत्सवादि सम्पादनार्थ एवं यज्ञोपनयनादि धार्मिककृत्यों के लिये सम्यक् कालपरिज्ञानार्थ तिथि-वार-नक्षत्र-योग-करणात्मक विशुद्ध आर्षपञ्चाङ्ग की आवश्यकता होती है। परन्तु विविध भारतीय पञ्चाङ्गों में भी व्रतोपवासादि के...
संसार भर में जगत पिता ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर पुष्कर में स्थित है। लोगों के अनुसार इस श्राप के कारण परमपिता ब्रह्मा की केवल एक जगह पूजा होती है वो है पुष्कर और हम मान भी लेते हैं। पर क्या...
Rebuttal to those Neo-Buddhists anti-Hindu tree huggers who say That the Buddha was anti-varna (caste) and Anti-Vedism-Anti Ritual
“The Buddha said,
‘What the noble ones say is the truth, what the others say is not true. And why is this? The...
चेन्नई, पांच फरवरी, सोशल मीडिया पर डीएमके नेता स्टालिन का एक वीडियो क्लिप सामने आया है, जिसमें वह विवाह के वैदिक अनुष्ठानों की आलोचना कर रहे हैं। स्टालिन के इस विडियो में हिन्दू रीति-रिवाजों और खास तौर...
Where does this soul go after death? Its description is found in detail in the Chandogya Upanishad of the Tandya Mahabrahman of Samaveda. There are three movements of the Jeeva described there, out of which we will...
॥ नमः प्रकृत्यै ।।
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर
शिवदूति महाकालि भैरवि प्रलयेश्वरि ।
रक्ष रक्ष जगन्मातर्मा मां स्पृशतु कोपतः ॥
वेदादिशास्त्रों में आधिभौतिक आधिदैविक आध्यात्मिक अथवा भौम दिव्य आन्तरिक्ष तापों एवं...
द्रोणाचार्य सरीखे शास्त्रज्ञ गुरु भी धर्म का तत्व नहीं समझ पाए। भीष्म पितामह जैसे धर्म सम्राट को भी धर्म का तत्व शर शैय्या पर लेटने से पहले समझ न आया। यहाँ तक कि धर्म अधर्म के नाम पर दो...
छान्दोग्योपनिषद् के चौथे अध्याय में जबाला, सत्यकाम और हरिद्रुमत के पुत्र महर्षि गौतम की कथा मिलती है। जबाला उस भारत का प्रतिनिधित्व करती है जहाँ नारी हर रूप में नारायणी है, सत्यकाम सत्य के उस प्रहरी के...