जॉर्ज ऑर्वेल की दो महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं- Animal farm तथा 1984. Animal farm को तो मैंने बहुत पहले पढ़ा था, लेकिन 1984 को अभी जल्दी ही समाप्त किया हूँ। यह किताब 1949 में प्रकाशित हुई थी, और...
"हमारे देश में जनतंत्र की गम्भीर असफलताओं में कम्युनिज्म की बढ़ती हुई विभीषिका है, जो जनतान्त्रिक विधान की मानी हुई शत्रु है। जनता के समक्ष की गई अपनी आर्थिक अपील में कम्युनिस्टों से कही पिछड़ न जायें, इस प्रयास...
'श्रीरामभक्ता शबरी भीलनी नहीं ब्राह्मणी थी'
लेखक:- पण्डित गङ्गाधर पाठक ‘वेदाद्याचार्य’
मुख्याचार्य- श्रीरामजन्मभूमिशिलापूजन, अयोध्या
मार्गदर्शक:- श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पञ्चाङ्गम्, जयपुर
निम्न ग्रन्थ में शास्त्रों का अन्वेषण करके सप्रमाण श्रीरामभक्ता शबरी का ब्राह्मण होना सिद्ध किया गया है। सत्यान्वेषण करने वाले पाठक पूर्ण मनोयोग पूर्वक...
"आ मृत्यु...आ...तू आ"
83 वर्ष की आयु में वीर सावरकर ने हिन्दू साधुओं की प्राचीन परंपरा अपनाकर, 1 फरवरी, तिथि माघ शुक्ल एकादशी को अन्न, जल और दवाइयों का त्याग कर दिया। उनका कहना था, "जब जीवन मिशन पूरा हो...
Web series The Family Man on Amazon Prime is a live example of silently the Bollywood is doing perception management for Pakistan and supporting their narrative. Created by Raj Nidimoru and Krishna DK, this series is centered...
यूरोप के तथाकथित 'विद्वानों' ने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा 'सभ्यता' को भारतीय सभ्यता की प्राचीनतम आधारशिला बताया और उसे वैदिक पशुपालक लोगों की तुलना में विकसित तथा पुरातन घोषित कर दिया, जिसे आजतक हमारे नीति-निर्धारक और तथाकथित बुद्धिजीवी स्वीकारते आ...
Is being a Hindu ok and is Hindutva not ok and even dangerous? Many Hindus seem wary to be associated with Hindutva, in spite of the fact that Hindutva simply means Hindu-ness or being Hindu. They tend to accept...
एक मुस्लिम कभी वामपंथी क्यों नहीं हो सकता?
2004 की सर्दियों में SFI के संसद मार्च में जाने का मौका मिला था। हुमायूँ के किले के पास के एक कैंप में दो दिन और दो रातें गुजारनी थी।...
"जहाँ तक ईसाइयों का सम्बन्ध है, ऊपरी तौर से देखने वाले को तो वे नितान्त निरूपद्रवी ही नहीं वरन् मानवता के लिए प्रेम एवं सहानुभूति के मूर्तिमान स्वरूप प्रतीत होते है। उनकी वक्तृतायें 'सेवा' एवं 'मानवोद्धार' जैसे शब्दों से...
'सर्फ एक्सेल' का विज्ञापन आज चर्चा में है पर उस विज्ञापन के बीच एक गंभीर विषय भी है जिसपर मानवीय संवेदना को समझने और गढ़ने वाले लोग चिंतित नहीं होते और इनका चिंतित न होना ही भारत...