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Friday, December 12, 2025

क्या एक ज्योतिषी चाँद पर जन्में बच्चे की कुंडली और भविष्य बता सकता है?

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Abhijeet Singh
Abhijeet Singh
लेखक भारतीय एवं अब्राहमिक इतिहास, साहित्य व संस्कृति के गहन जानकार एवं राष्ट्रवादी विचारक हैं

लोगों की ओर से एक सामान्य जिज्ञासा ये सामने आई है कि अगर किसी बच्चे का जन्म चाँद पर हो तो उसकी कुंडली कैसे बनाई जायेगी और उसके भविष्य के बारे में कैसे बताया जायेगा? इस प्रश्न का दायरे को बढ़ाते हुये ये भी कहा जा सकता है कि अगर किसी बच्चे का जन्म मंगल ग्रह या किसी और ग्रह पर हो तो क्या होगा?

इसका बड़ा सहज जवाब है कि ज्योतिष का जो ज्ञान हमारे पास है उसके आधार पर पृथ्वी से इतर कहीं और मसलन चाँद, मंगल या बुध पर जन्में किसी बच्चे की न तो कुंडली बनाई जा सकती है और न ही उसका भविष्य बताया जा सकता है। हमारे ऋषि मुनियों ने ज्योतिष का जो ज्ञान विकसित किया था वह केवल पृथ्वी पर जन्में लोगों के लिये थी। इसीलिए हमारे यहाँ कुंडली भी उसी की मिलती है जो इस धरती पर जन्में थे। हमारे ग्रंथों में बिष्णु के जिस भी अवतार का वर्णन है उसमें कुंडली केवल उनकी ही उपलब्ध मिलती है जो मानव रूप में इस धरती पर जन्में थे। जहाँ तक प्रश्न चाँद या किसी और ग्रह पर जन्में बच्चे की कुंडली निर्माण का है तो ये कम से कम हमारे पास उपलब्ध ज्योतिष शास्त्र के आधार पर संभव नहीं है। इसकी वजह तो बहुत सारी हैं पर कुछ बातों को जानना आवश्यक है।

हमारा सौरमंडल सूर्य, ग्रहों, उपग्रहों, धूमकेतु, लघु-ग्रहों आदि से मिलकर बनता है, इसमें सूर्य एक तारा है जिसके चारों ओर सौर मंडल के शेष सदस्य परिक्रमा करतें हैं। ग्रहों की संख्या कुल नौ है- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल। गुरु, शनि, अरुण, वरुण और यम (प्लूटो यानि यम के ग्रह होने को लेकर अलग मान्यता है पर आज का विषय वो नहीं है) पर अगर हम ज्योतिष की बात करें तो हमें ग्रहों की स्थूल परिभाषा लेनी पड़ती है क्योंकि ज्योतिष जिन नौ ग्रहों को मान्यता देता है उसमें सूर्य और चंद्रमा ग्रह नहीं है और पृथ्वी ग्रह होते भी ज्योतिषी के लिये ग्रह की श्रेणी से बाहर है। सूर्य एक तारा है जबकि चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह मात्र है। मज़े की बात ये भी है कि राहू और केतू जिनको ग्रहों में स्थान प्राप्त है वास्तव में उनका कोई भौतिक अस्तित्व है ही नहीं ये तो बल्कि क्रांति-तल पर अवस्थित दो विपरीत बिंदु हैं जहाँ से चंद्रमा क्रांति-तल को पार करता है।

कुंडली चन्द्रमा

अब मान लीजिये कि कोई बच्चा चाँद पर जन्म लेता है तो उस स्थिति में क्या ज्योतिषी उसकी कुंडली बना सकता है? और अगर नहीं बना सकता तो क्यों?

  1. अगर किसी बच्चे का नाम चंद्रमा पर हुआ तो उस अवस्था में चंद्रमा को ग्रहों की श्रेणी से निकालना पड़ेगा और उसके स्थान पर पृथ्वी को शमिल करना पड़ेगा।
  2. अगर चंद्रमा ग्रहों की श्रेणी से निकल गया तो उस स्थिति में ज्योतिष के सामने ये समस्या खड़ी होगी कि कर्क राशि का आधिपत्य किस ग्रह को सौंपा जाये क्योंकि पृथ्वी वो स्थान नहीं ले सकती। अब चूँकि पृथ्वी अपने गुणों के आधार पर कर्क राशि का स्वामित्व नहीं ले सकती तो फिर पृथ्वी को किस राशि का स्वामित्व दिया जायेगा?
  3. इसका अर्थ है कि फिर से कुछ और उपग्रहों को ग्रहों की श्रेणी में शामिल करना पड़ेगा और राशि और उसके अधिपति का निरूपण पुनः करना पड़ेगा। जिसका बाद राशियों की दिशा, स्वभाव, उसका अंगों पर आधिपत्य, ज्योतिष के समस्त योग, साढ़ेसाती, ढैय्या और गोचर की अवधारणा सब व्यर्थ हो जायेगी।
  4. फिर ऐसा ही संकट नक्षत्रों के सम्बन्ध में भी खड़ा हो जायेगा क्योंकि ज्योतिष में नक्षत्रों का सीधा संबंध चन्द्र के आकाशीय भ्रमण से है साथ ही सत्ताईस नक्षत्रों में कम से कम तीन नक्षत्र ऐसे हैं जो चंद्रमा के स्वामित्व में हैं।
  5. चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति की जन्म राशि और जन्मनक्षत्र निरुपित करती है पर अगर चंद्रमा ही ग्रहों की श्रेणी से निकाल दिया जाये तो व्यक्ति की जन्म-राशि और जन्म-नक्षत्र निकालने का संकट खड़ा हो जायेगा।
  6. फिर एक समस्या राहू और केतु को लेकर भी खड़ी हो जायेगी क्योंकि ये तो चंद्रमा के ही पात-बिंदु हैं।
  7. जन्म-नक्षत्र स्पष्ट न हो तो फिर विंशोत्तरी दशा का निर्धारण भी असंभव हो जायेगा।
  8. चंद्रमा को ग्रह की श्रेणी से निकालने और पृथ्वी या किसी और उपग्रह को ग्रह में शामिल करने के बाद ग्रहों की उच्च, नीच या मूल त्रिकोण राशि का निर्धारण, ग्रहों की मैत्री वगैरह, ग्रहों की दृष्टि, ग्रह-बल इन सबको लेकर जो सूत्र या सिद्धांत हैं वो निष्फल हो जायेंगें और चन्द्र कुंडली की अवधारणा भी खत्म हो जायेगी।

इन सबका ये अर्थ है कि ज्योतिष का जो ज्ञान, जो सूत्र और जो सिद्धांत हमारे पास है उसके आधार पर चाँद, मंगल या बुध पर जन्में किसी बच्चे की न तो कुंडली बनाई जा सकती है और न ही उसका भविष्य बताया जा सकता है। अगर कभी भविष्य में चाँद, मंगल या किसी और ग्रह पर जीवन संभव होता है तो वहां के ऋषि-मुनियों और विज्ञानियों को इसी तरह का एक शास्त्र बिलकुल शून्य से आरंभ करना होगा, सिद्धांत तय करने होंगें।

निष्कर्ष ये कि ज्योतिष का ज्ञान, इसके सूत्र, इसके सिद्धांत, इसकी गणनाएं केवल और केवल धरती पर जन्में लोगों के लिये है इसके इतर जन्में लोगों की कुंडली बनाना या भविष्य बताना संभव नहीं है।

श्री अभिजीत सिंह, लेखक ज्योतिर्विद, राष्ट्रवादी लेखक और भारतीय संस्कृति, हिन्दू, इस्लाम, ईसाईयत के गहन जानकार हैं. 

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